ans plz I'll mark u brainiestअपनी पसंद के 5 मुहावरे ले और उनकी कहानी बनाएं उनसे
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मुहावरा मूलत: अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है बातचीत करना या उत्तर देना। कुछ लोग मुहावरे को ‘रोज़मर्रा’, ‘बोलचाल’, ‘तर्ज़ेकलाम’, या ‘इस्तलाह’ कहते हैं, किन्तु इनमें से कोई भी शब्द ‘मुहावरे’ का पूर्ण पर्यायवाची नहीं बन सका। संस्कृत वाङ्मय में मुहावरा का समानार्थक कोई शब्द नहीं पाया जाता। कुछ लोग इसके लिए ‘प्रयुक्तता’, ‘वाग्रीति’, ‘वाग्धारा’ अथवा ‘भाषा-सम्प्रदाय’ का प्रयोग करते हैं। वी०एस० आप्टे ने अपने ‘इंगलिश-संस्कृत कोश’ में मुहावरे के पर्यायवाची शब्दों में ‘वाक्-पद्धति', ‘वाक् रीति’, ‘वाक्-व्यवहार’ और ‘विशिष्ट स्वरूप' को लिखा है। पराड़कर जी ने ‘वाक्-सम्प्रदाय’ को मुहावरे का पर्यायवाची माना है। काका कालेलकर ने ‘वाक्-प्रचार’ को ‘मुहावरे’ के लिए ‘रूढ़ि’ शब्द का सुझाव दिया है। यूनानी भाषा में ‘मुहावरे’ को ‘ईडियोमा’, फ्रेंच में ‘इंडियाटिस्मी’ और अंग्रेजी में ‘ईडिअम’ कहते हैं।
मोटे तौर पर जिस सुगठित शब्द-समूह से लक्षणाजन्य और कभी-कभी व्यंजनाजन्य कुछ विशिष्ट अर्थ निकलता है उसे मुहावरा कहते हैं। कई बार यह व्यंग्यात्मक भी होते हैं। मुहावरे भाषा को सुदृढ़, गतिशील और रुचिकर बनाते हैं। मुहावरों के प्रयोग से भाषा में अद्भुत चित्रमयता आती है। मुहावरों के बिना भाषा निस्तेज, नीरस और निष्प्राण हो जाती है। मुहावरे रोजमर्रा के काम के है।
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एक राजा था उसकी राज्य में ना चोरी होती थी ना डकैती सिपाही करें भी तो क्या करें सभी आराम से रहते थे एक बार की बात है रात का समय था एक राहगीर ताजमहल के पास से गुजरा देखा सारे पहरेदार सो रहे हैं उनके मन में उत्सुकता जगी की महल कैसा होता है डरते डरते वह महल में घुस गया महल था भी बड़ा आलीशान वहां कीमती सामान भरे पड़े थे मन तो भैया मन है बड़े-बड़े लोगों का भी डोल जाता है वह तो ठहरा साधारण आदमी तो लालच में आ गया उसने झटपट कुछ कीमती सामान झूले में डाल लिया सुबह होते ही शोर मच गया राज महल में चोरी हो गई राजा परेशान हो गया पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था राजा ने चोर को पकड़ने का आदेश दिया पर नतीजा कुछ नहीं निकला कुछ दिन ऐसे ही निकल गए उधर चोर का साहस बढ़ गया उसने फिर चोरी करने की कोशिश की वह फिर चोरी करने में कामयाब हो गया इस बार राजा बहुत बिगड़े उन्होंने आदेश दिया क्यों कुछ जिंदा या मुर्दा पकड़कर हाजिर किया जाए नगर कोतवाल बहुत परेशान हो गया चोर को तो जैसा चस्का लग गया था 1 दिन बाद फिर महल में चोरी करने आया इस बार सिपाही सावधान थे और चोर तुरंत पकड़ लिया गया सुबह सारे राज्य में खबर फैल गई अगले दिन राजा का दरबार लगा बड़े शान से कोतवाल चोर को लेकर दरबार में हाजिर हुआ बोला महाराज यही है वह चूर इसके घर से सारा सामान भी मिल गया है इससे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए मगर यह क्या चोर तो कोतवाल के ही पीछे पड़ गया डपट कर बोला कैसे कोतवाल हो तुम यही रक्षा करते हो महल की सारी पहरेदार सोते रहते हैं फिर चोरी नहीं होगी तो और क्या होगा कहीं ऐसा ना हो कि किसी दिन सारा खजाना लूट जाए मैंने तो सब को यह बताने के लिए ही चोरी का नाटक किया था लोग कहने लगे वह देखो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे .
Second
लीजिए एक और किताब पढ़िए एक दिन गांव के मुखिया के घर भोज था लोगों ने खाने की बड़ी बढ़ाई की खासतौर से खीर की तारीफ तभी ने की कितनी मजेदार की थी बिल्कुल रबड़ी जैसी खाते-खाते मन नहीं लगाता था उसी गांव में एक भिखारी था माधव माधव देख नहीं सकता था माधु के कानों में भी खीर की बात पड़ी उसने खीर कभी नहीं खाई थी उसने सोचा पता नहीं फिर कैसी होती है लोग उसकी इतनी बड़ाई कर रहे थे उसने अपने साथ ही कालू से पूछा कालू यह खीर कैसी होती है कालू ने जवाब दिया और कैसी उजली होती है अब बेचारा माधव क्या जाने उजला लाल और पीला कैसा होता है वह तो जन्म से ही नेत्रहीन था उसने फिर पूछा भैया उजला कैसा होता है कालू कठिनाई में पड़ गया इधर उधर देखने लगा पोखर के किनारे एक बगुला दिखा बोला माधव बिल्कुल बगुले जैसा होता है भला माधव ने कभी बगुला देखा हो तब तो समझे कुछ देर तो माधव चुप रहा फिर उसने सब कुछ आते हुए पूछा भैया बस इतना बता दो कि बगुला कैसा होता है अब कालू की कठिनाई और बढ़ गई उसकी समझ में नहीं आ रहा था वह कैसे समझाए तो कैसे उसे एक तरकीब सूझी उसने अपनी बाहों को कोहनी पर से जोड़ा फिर हथेली पर से थोड़ा मोड़ा माधव का हाथ पकड़ा फिर उसे अपना हाथ टटोलने को कहा कालू के मुड़े हुए हाथ को माधव ने टटोला फिर गहरी सांस ली निराश होकर कहा धत्त तेरी की खीर तो बड़ी तेरी होती है इसे खाना आसान नहीं होगा बस इसी से मुहावरा बन गया तेरी खीर