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1) Difference between Akarmak and Sakarmak Kriya in Hindi |
अकर्मक और सकर्मक क्रिया में क्या अंतर है !!
# ऐसे वाक्यों में कोई ऐसी क्रिया जिसे अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कर्म की आवश्यकता नही पड़ती, उसे अकर्मक क्रिया कहते है। ऐसे वाक्य जिनमें कोई भी ऐसी क्रिया हों, जिनके अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कर्म की आवश्यकता पड़ती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं|
# जब वाक्य में क्रिया शब्द से पहले क्या, किसे, किसको प्रश्न करने पर उसका उत्तर मिल सके तो वो सकर्मक क्रिया होती है और जब इन प्रश्नो के उत्तर प्राप्त न हो तो वो वाक्य अकर्मक क्रिया होती हैं.
# उदाहरण: दर्जी सूट सिल रहा है. (सकर्मक क्रिया)
प्रश्न: क्या सिल रहा है?
उत्तर: सूट (कर्म)
# उदाहरण: राहुल रोता है| (अकर्मक क्रिया)
प्रश्न : क्या ”रोता है?
उत्तर : राहुल (कर्ता )
2) संयुक्त क्रिया (Compound Verb)- जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर जब किसी एक पूर्ण क्रिया का बोध कराती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे- बच्चा विद्यालय से लौट आया
किशोर रोने लगा
वह घर पहुँच गया।
उपर्युक्त वाक्यों में एक से अधिक क्रियाएँ हैं; जैसे- लौट, आया; रोने, लगा; पहुँच, गया। यहाँ ये सभी क्रियाएँ मिलकर एक ही कार्य पूर्ण कर रही हैं। अतः ये संयुक्त क्रियाएँ हैं।
इस प्रकार, जिन वाक्यों की एक से अधिक क्रियाएँ मिलकर एक ही कार्य पूर्ण करती हैं, उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।
3) जिस क्रिया से इस बात का ज्ञान हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी अन्य को उसे करने के लिए प्रेरित करता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं । जैसे-बोलना- बोलवाना, पढ़ना- पढ़वाना, खाना- खिलवाना, इत्यादि । (a) मूल द्वि-अक्षरी धातुओं में 'आना' तथा 'वाना' जोड़ने से प्रेरणार्थक क्रियाएँ बनती हैं
4) काल का अर्थ होता है – समय। क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने के समय का पता चले उसे काल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - जिस रूप से क्रिया के होने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं।
जैसे –
पिछले साल मेरे जन्मदिन पर मेरी दीदी ने मुझे स्केट्स दिए थे।
आज मेरे जन्मदिन पर दीदी मेरे लिए घड़ी खरीद रही हैं।
अगले साल मेरे जन्मदिन पर मेरे पापा कहीं बाहर ले जाएँगे।
इस प्रकार से हम देखते हैं कि उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ अलग-अलग समय में हो रही हैं। इस प्रकार से ‘क्रिया के समय दर्शाने को’ ही ‘काल’कहते हैं।
5) भूतकाल दो शब्दों के मेल से बना है - भूत + काल। भूत का अर्थ होता है - बीत गया और काल को कहा जाता है - समय अर्थात् जो समय बीत गया हो।
क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध हो या वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के जिस रूप से बीते समय में (भूत) क्रिया का होना पाया जाता है। उसे हम भूतकाल कहते है।
दूसरे शब्दों में - जिस क्रिया से कार्य के समाप्त होने का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। इसकी पहचान वाक्यों के अंत में था, थे, थी आदि से होती है।
उदाहरण के लिए -
(i) रमेश पटना गया था।
(ii) पहले मैं लखनऊ में पढ़ता था।
(iii) राम ने रावण का वध किया था।
6) भविष्य में होनेवाली क्रिया को भविष्यतकाल की क्रिया कहते है। क्रिया के जिस रूप से क्रिया के आने वाले समय में पूरा होने का पता चले उसे भविष्य काल कहते हैं। इससे आगे आने वाले समय का पता चलता है। जिन वाक्यों के अंत में गा, गे, गी आदि आते हैं वे भविष्य
दूसरे शब्दो में - क्रिया के जिस रूप से काम का आने वाले समय में करना या होना प्रकट हो, उसे भविष्यतकाल कहते है।
जैसे -
मैं कल विद्यालय जाउँगा।
खाना कुछ देर में बन जायेगा।
राजू देर तक पढ़ेगा।
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सकर्मक क्रिया
1. इसमें कर्ता, क्रिया और कर्म तीनों उपस्थित होते हैं।
2. इसमें कर्ता द्वारा किए गए कार्य से कोई दूसरी चीज प्रभावित होती है
3. जैसे– नरेंद्र खाता है।
अकर्मक क्रिया
इसमें कर्ता और क्रिया तो होते हैं, लेकिन कर्म नहीं होता।
2. इसमें कर्ता द्वारा किए गए कार्य से किसी और चीज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
3. जैसे– नरेंद्र खाना खाता है।
2.जब वाक्य में केवल एक क्रिया का प्रयोग होता है वहां सामान्य क्रिया होती है। उदाहरण : तुम चलो, मोहन पढ़ा आदि! दो या दो से अधिक क्रियाओं के मेल से बनी क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ होती है। ... दूसरे शब्दों में दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर जब किसी एक पूर्ण क्रिया का बोध कराती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।
3.जिस क्रिया से ज्ञान हो कि कर्ता स्वयं कार्य को न करके किसी अन्य को कार्य करने की प्रेरणा देता है वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है।
प्रेरणार्थक क्रिया के दो कर्ता होते हैं :
प्रेरक कर्ता : प्रेरणा प्रदान करने वाला
प्रेरित कर्ता : प्रेरणा लेने वाला कर्ता
4.काल की परिभाषा
क्रिया के जिस रूप से कार्य करने या होने के समय का ज्ञान होता है उसे 'काल' कहते है। दूसरे शब्दों में- क्रिया के उस रूपान्तर को काल कहते है, जिससे उसके कार्य-व्यापर का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो। (1)बच्चे खेल रहे हैं। मैडम पढ़ा रही हैं।
5.क्रिया के उस रूप को पूर्ण भूत कहते है, जिससे क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट बोध होता है कि क्रिया को समाप्त हुए काफी समय बीता है। दूसरे शब्दों में- क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
6.भविष्य काल :- क्रिया के जिस रूप से क्रिया के आने वाले समय में पूरा होने का पता चले उसे भविष्य काल कहते हैं। इससे आगे आने वाले समय का पता चलता है। जिन वाक्यों के अंत में गा , गे , गी आदि आते हैं वे भविष्य काल होते हैं।
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