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प्र 01.
करन कारक और अपादान कारक दोनों में ही 'से' विभक्ति का प्रयोग होता है. लेकिन दोनों में बहुत बड़ा अंतर है. कारन कारक में जो 'से' प्रयोग होता है - उसका अर्थ है 'के द्वारा' यानि किसी वस्तु के द्वारा कोई कार्य किया जाना - जैसे चाकू से छीलना , तलवार से मारना आदि.
अपादान मे जो 'से' प्रयोग होता है - वह केवल तब प्रयोग होता है जब कोई एक चीज़ किसी दूसरी चीज़ से अलग हो रही हो - जैसे भालू पेड़ से उतरता है - यानी वो पेड़ से अलग हो रहा है या फिर बच्चा बस्तर से गिर गया - यानि वो बिस्तर से अलग हो गया ।
प्र 02.
- छात्र: विद्यालयात् गृहम् आगच्छती ।
- गंगा हिमालयात् निस्सरति ।
- गीता कुक्कुरात् बीभेति ।
- गृहात् बहि: भार्ग: अस्ति ।
- बालक: गृहात् विद्यालय आगच्छति ।
प्र 03.
- सिंह: गृहस्य बहि: आगच्छति । (X)
- जाना: सिंहात् भीता: सन्ति । (√)
- बालिका हिमालयन्त आगच्छति । (X)
- गंगा हिमालयात् निर्गच्छति । (√)
प्र 04.
- वर्तमान काल --- लट् लकार:
- भूतकाल --- लोट् लकार:
- भविष्यत्काल --- लृट् लकार:
प्र 05.
- ग्रीष्मकाले जाना: पर्वतेषु गच्छन्ती ।
- खगानाम् कूजनम् सर्वत्र वर्तते ।
- ते कृष्नस्य चित्रम् पश्यन्ति ।
- बालका: जनकस्य सम्मानम् कुर्वन्ति ।
- सरोवरस्य मीना: तरन्ति ।
- कमलानि तडागे विकसन्ति ।
- उद्याने पुष्पानि विकसन्ति ।
- वृक्षाणाम् पत्रानि हरितानी सन्ति ।
- कन्या: रंगमंचे नृत्यन्ति ।
- खगानाम् शावका: नीडेषु तिष्ठन्ति ।
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