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गोपियाँ व्यंग्य करने में प्रवीण हैं। उनकी भाग्यहीनता को भाग्यवान कहकर व्यंग्य करती हैं कि तुमसे बढ़कर और कौन भाग्यवान होगा जो कृष्ण के समीप रहकर उनके अनुराग से वंचित रहे। सहृदयता-उनकी सहृदयता उनकी बातों में स्पष्ट झलकती है
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(क) कृष्ण को हरिल की लकड़ी कहने से गोपियों का क्या आशय है?
- जैसे हारिल पक्षी वृक्ष की टहनी को कभी अपने से अलग नहीं करता, उसी प्रकार गोपियाँ भी श्रीकृष्ण को एक पल के लिए अपने हृदय से दूर नहीं होने देना चाहतीं | जिस प्रकार हारिल पक्षी अपने पंजे में दबी लकड़ी को आधार मानकर उड़ता है उसी प्रकार गोपियों ने अपने जीवन का आधार कृष्ण को मान रखा है।
(ख) गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यशाली कहने में क्या व्यंग निहित है ?
- गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे। श्री कृष्ण के प्रति कैसे उनके हृदय में अनुराग उत्पन्न नहीं हुआ? अर्थात् श्री कृष्ण के साथ कोई व्यक्ति एक क्षण भी व्यतीत कर ले तो वह कृष्णमय हो जाता है। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।
(ग) पाठ के आधार पर लक्ष्मण की विशेषताएं लिखिए।
- लक्ष्मण का स्वभाव राम की अपेक्षा उग्र है। वह किसी भी बात का जवाब सीधे मुंह पर उग्र तरीके से दे देते हैं उनकी वाणी में व्यंग है और आक्रामकता छुपी हुई रहती है।
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