answer fast and 2 page information for Brinlist ans
Answers
Explanation:
Prithviraja III, also called Prithviraj Chauhan, (born c. 1166—died 1192), Rajput warrior king of the Chauhan (Chahamana) clan of rulers who established the strongest kingdom in Rajasthan. Prithviraja’s defeat in 1192 in the second battle of Taraori (Tarain) at the hands of the Muslim leader Muʿizz al-Dīn Muḥammad ibn Sām (Muḥammad Ghūrī) marked a watershed in medieval history of India.
please mark me brilliant
Answer:
नहीं थी।
पृथ्वीराज तृतीय (शासनकाल: 1178–1192) जिन्हें आम तौर पर पृथ्वीराज चौहान कहा जाता है, चौहान वंश के राजा थे। उन्होंने वर्तमान उत्तर-पश्चिमी भारत में पारंपरिक चौहान क्षेत्र सपादलक्ष पर शासन किया। उन्होंने वर्तमान राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली और पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से पर भी नियंत्रण किया। उनकी राजधानी अजयमेरु (आधुनिक अजमेर) में स्थित थी, हालांकि मध्ययुगीन लोक किंवदंतियों ने उन्हें भारत के राजनीतिक केंद्र दिल्ली के राजा के रूप में वर्णित किया है जो उन्हें पूर्व-इस्लामी भारतीय शक्ति के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित करते हैं।
पृथ्वीराज चौहान
पृथ्वीराज चौहान
अजमेर में पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति
अजमेर एवं दिल्ली के राजा
शासनावधि
ल. 1178–1192
पूर्ववर्ती
सोमेश्वर
उत्तरवर्ती
गोविंदाराज चतुर्थ
राजवंश
चौहान वंश
धर्म
हिन्दू धर्म
शुरुआत में पृथ्वीराज ने कई पड़ोसी हिन्दू राज्यों के खिलाफ सैन्य सफलता हासिल की। विशेष रूप से वह चन्देल राजा परमर्दिदेव के खिलाफ सफल रहे थे। उन्होंने मुस्लिम ग़ोरी राजवंश के शासक मोहम्मद ग़ोरी के प्रारंभिक आक्रमणों को भी रोका। हालाँकि, 1192 में तराइन की दूसरी लड़ाई में ग़ोरी ने पृथ्वीराज को हराया और कुछ ही समय बाद उसे मार डाला। तराइन में उनकी हार को भारत की इस्लामी विजय में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा जाता है और कई अर्ध-पौराणिक लेखनों में इसका वर्णन किया गया है। इनमें सबसे लोकप्रिय पृथ्वीराज रासो है, जो उन्हें "राजपूत" के रूप में प्रस्तुत करता है। हालांकि उनके समय में राजपूत पहचान मौजूद नहीं थी।
पृथ्वीराज तृतीय (शासनकाल: 1178–1192) जिन्हें आम तौर पर पृथ्वीराज चौहान कहा जाता है, चौहान वंश के राजा थे। उन्होंने वर्तमान उत्तर-पश्चिमी भारत में पारंपरिक चौहान क्षेत्र सपादलक्ष पर शासन किया। उन्होंने वर्तमान राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली और पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से पर भी नियंत्रण किया। उनकी राजधानी अजयमेरु (आधुनिक अजमेर) में स्थित थी, हालांकि मध्ययुगीन लोक किंवदंतियों ने उन्हें भारत के राजनीतिक केंद्र दिल्ली के राजा के रूप में वर्णित किया है जो उन्हें पूर्व-इस्लामी भारतीय शक्ति के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित करते हैं।
पृथ्वीराज चौहान
पृथ्वीराज चौहान
अजमेर में पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति
अजमेर एवं दिल्ली के राजा
शासनावधि
ल. 1178–1192
पूर्ववर्ती
सोमेश्वर
उत्तरवर्ती
गोविंदाराज चतुर्थ
राजवंश
चौहान वंश
धर्म
हिन्दू धर्म
शुरुआत में पृथ्वीराज ने कई पड़ोसी हिन्दू राज्यों के खिलाफ सैन्य सफलता हासिल की। विशेष रूप से वह चन्देल राजा परमर्दिदेव के खिलाफ सफल रहे थे। उन्होंने मुस्लिम ग़ोरी राजवंश के शासक मोहम्मद ग़ोरी के प्रारंभिक आक्रमणों को भी रोका। हालाँकि, 1192 में तराइन की दूसरी लड़ाई में ग़ोरी ने पृथ्वीराज को हराया और कुछ ही समय बाद उसे मार डाला। तराइन में उनकी हार को भारत की इस्लामी विजय में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा जाता है और कई अर्ध-पौराणिक लेखनों में इसका वर्णन किया गया है। इनमें सबसे लोकप्रिय पृथ्वीराज रासो है, जो उन्हें "राजपूत" के रूप में प्रस्तुत करता है। हालांकि उनके समय में राजपूत पहचान मौजूद नहीं थी।
पृथ्वीराज तृतीय (शासनकाल: 1178–1192) जिन्हें आम तौर पर पृथ्वीराज चौहान कहा जाता है, चौहान वंश के राजा थे। उन्होंने वर्तमान उत्तर-पश्चिमी भारत में पारंपरिक चौहान क्षेत्र सपादलक्ष पर शासन किया। उन्होंने वर्तमान राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली और पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से पर भी नियंत्रण किया। उनकी राजधानी अजयमेरु (आधुनिक अजमेर) में स्थित थी, हालांकि मध्ययुगीन लोक किंवदंतियों ने उन्हें भारत के राजनीतिक केंद्र दिल्ली के राजा के रूप में वर्णित किया है जो उन्हें पूर्व-इस्लामी भारतीय शक्ति के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित करते हैं।
पृथ्वीराज चौहान
पृथ्वीराज चौहान
अजमेर में पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति
अजमेर एवं दिल्ली के राजा
शासनावधि
ल. 1178–1192
पूर्ववर्ती
सोमेश्वर
उत्तरवर्ती
गोविंदाराज चतुर्थ
राजवंश
चौहान वंश
धर्म
हिन्दू धर्म
शुरुआत में पृथ्वीराज ने कई पड़ोसी हिन्दू राज्यों के खिलाफ सैन्य सफलता हासिल की। विशेष रूप से वह चन्देल राजा परमर्दिदेव के खिलाफ सफल रहे थे। उन्होंने मुस्लिम ग़ोरी राजवंश के शासक मोहम्मद ग़ोरी के प्रारंभिक आक्रमणों को भी रोका। हालाँकि, 1192 में तराइन की दूसरी लड़ाई में ग़ोरी ने पृथ्वीराज को हराया और कुछ ही समय बाद उसे मार डाला। तराइन में उनकी हार को भारत की इस्लामी विजय में एक ऐतिहासिक घटना के रूप में देखा जाता है और कई अर्ध-पौराणिक लेखनों में इसका वर्णन किया गया है। इनमें सबसे लोकप्रिय पृथ्वीराज रासो है, जो उन्हें "राजपूत" के रूप में प्रस्तुत करता है। हालांकि उनके समय में राजपूत पहचान मौजूद नहीं थी।
पृथ्वीराज तृतीय (शासनकाल: 1178–1192) जिन्हें आम तौर पर पृथ्वीराज चौहान कहा जाता है, चौहान वंश के राजा थे। उन्होंने वर्तमान उत्तर-पश्चिमी भारत में पारंपरिक चौहान क्षेत्र सपादलक्ष पर शासन किया। उन्होंने वर्तमान राजस्थान, हरियाणा, और दिल्ली और पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से पर भी नियंत्रण किया। उनकी राजधानी अजयमेरु (आधुनिक अजमेर) में स्थित थी, हालांकि मध्ययुगीन लोक किंवदंतियों ने उन्हें भारत के राजनीतिक केंद्र दिल्ली के राजा के रूप में वर्णित किया है जो उन्हें पूर्व-इस्लामी भारतीय शक्ति के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित करते हैं।