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Answers
Answer 1
कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए उन पर अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता है। वह उनको चुस्त, प्राणवान, आभावान व पुष्पित करना चाहता है।
अतः कवि नींद में पड़े युवकों को प्रेरित करके उनमें नए उत्कर्ष के स्वप्न जगह देगा, उनका आलस्य दूर भगा देगा तथा उनमें नये उत्साह का संचार करना चाहता है।
Answer 2
इस पांति में लेखक ने कारीगरों की व्यथा की ओर संकेत किया है कि मशीनों के आगमन के साथ कारीगरों के हाथ से काम-धंधा छिन गया। मानो उनके हाथ ही कट गए हों। उन कारीगरों का रोजगार इन पैतृक काम धन्धों से ही चलता था। उसके अलावा उन्होंने कभी कुछ नहीं सीखा था। वे पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी इस कला को बढ़ाते चले आ रहे हैं और साथ में रोज़ी रोटी भी चला रहें हैं। परन्तु मशीनी युग ने जहाँ उनकी रोज़ी रोटी पर वार किया है। मशीनों ने लोगों को बेरोजगार बना दिया।
Answer 3
बस की वर्तमान स्थिति देखते हुए इस प्रकार का आश्चर्य व्यक्त करना स्वाभाविक था। देखने से लग नहीं रहा था कि बस चलती भी होगी परन्तु जब लेखक ने बस के हिस्सेदार से पूछा तो उसने कहा चलेगी ही नहीं, अपने आप चलेगी।
1) कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए उन पर अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता है। वह उनको चुस्त, प्राणवान, आभावान व पुष्पित करना चाहता है।
अतः कवि नींद में पड़े युवकों को प्रेरित करके उनमें नए उत्कर्ष के स्वप्न जगह देगा, उनका आलस्य दूर भगा देगा तथा उनमें नये उत्साह का संचार करना चाहता है।
2) इस पांति में लेखक ने कारीगरों की व्यथा की ओर संकेत किया है कि मशीनों के आगमन के साथ कारीगरों के हाथ से काम-धंधा छिन गया। मानो उनके हाथ ही कट गए हों। उन कारीगरों का रोजगार इन पैतृक काम धन्धों से ही चलता था। उसके अलावा उन्होंने कभी कुछ नहीं सीखा था। वे पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी इस कला को बढ़ाते चले आ रहे हैं और साथ में रोज़ी रोटी भी चला रहें हैं। परन्तु मशीनी युग ने जहाँ उनकी रोज़ी रोटी पर वार किया है। मशीनों ने लोगों को बेरोजगार बना दिया।
3) बस की वर्तमान स्थिति देखते हुए इस प्रकार का आश्चर्य व्यक्त करना स्वाभाविक था। देखने से लग नहीं रहा था कि बस चलती भी होगी परन्तु जब लेखक ने बस के हिस्सेदार से पूछा तो उसने कहा चलेगी ही नहीं, अपने आप चलेगी।