Hindi, asked by Anonymous, 10 months ago

Answer it correctly I will mark braiinliest. In hindi.​

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Answered by arsharun
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this is the answer of your questions I hope it will help you

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Answered by akay35
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मुंशी प्रेम्काह्न्द के ये कहानी उस युग की है जब भारत में नमक बनाने और बेचने पर कई तरह के कर लगा दिए गए थे . इस कारन भ्रष्ट अधिकारीयों की चंडी हो गयी थी और नमक विभाग में काम करने वाले कर्मचारी दूसरे बड़े से बड़े विभागों की तुलना में अधिक ऊपरी कमी कर रहे थे . कहानी के  नायक है मुंशी बंसीधर जो एक र्धन और कर्ज में डूबे परिवार के इक्लूते कमाने वाले हैं.किस्मत से उन्हें नमक विभाग मैं दरोगा की नौकरी मिल जाती है . अतिरिक्त आमदनी के अनेक मौके मिलने और वृद्ध पिता की अनेकों नसीहतों के बाड़ भी उनका मन भरम से डिगने को नहीं चाहता एक दिन अचानक उन्हें नमक की बोहोत बड़ी तस्करी के बारे मैं पता चलता है और वे वहां पोहोंच जाते हैं . इस तस्करी के पीछे वहां के सबसे बड़े ज़मींदार अलोपी दीन का हात है . जब पंडित अलोपी दीन को वहां बुलाया जाता है तो वे बड़ी निश्चिन्तता से आते हैं क्योंकि उन्हें पता है की पैसे से हर दरोगा को खरीदा जा सकता है. वे मुंशी जी को हज़ार रुपये की रिश्वत देने की पेशकश करते हैं लेकिन वाशी धर इसके लिए तैयार नहीं होते और उन्हें गिरफ्तार होने का हुक्म दे देते . रकम बड़ते बड़ते चालीस हज़ार तक पोहोंच जाने के बाड़ भी वंशी धर का इमां नहीं डिगता . पूरे शहर मैं पंडित जी की खुद बदनामी और थुक्काफजीहत होम के बाड़ भी जब वे उसे पैसे के दम पर आदालत से बाइज्जत बरी हो जाते हैं और अपने रसूख से मुंशी जे को नाकरे से भी हटवा देते है तो वंशी धर की मुसीबतों का कोई ठिकाना नहीं रहता . पैसे की तंगी के साथ साथ उन्हें घर वालों के गुस्से का भी सामना करना पड़ता है .तभी अचानक एक अन्होने होती है पंडित अलोपी दीन मुंशी जी के घर आकर उन्हें अपने बढ़िया वेतन और अनेक सुख सुविधाओं के साथ पूरे व्यवसाय और संपत्ति का प्रभंडक नियुक्त कर देते हैं.  क्योंकि वे उनकी इमानदारो से बहुत प्रभावित होते ह

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