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मैं अपने देश भारत की सेवा एक सच्ची समाज सेवक बनकर करना चाहती हूं। समाज की सेवा ही परम सेवा है। ईश्वर ने हम सबको हाथ, पैर, दिमाग दिया है। मगर क्या हम सब उचित व्यवहार करते हैं। अपने दिमाग का, हाथ का ,पैर का यहां तक कि जुंबा को भी सही ढंग से प्रयोग नहीं करते। इस तरह देश की सेवा नहीं होती।
देश की सेवा के लिए सर्वप्रथम त्याग रुपी तप करने की आवश्यकता है। समाज में रहकर समाज के लोगों को समझने की जरूरत है। तभी हम समाज के सेवक बन पाएंगे।
समाज के लोग देश में रहते हैं और देश में कई समस्या है जिनका संबंध समाज के लोगों से होता है। जैसे गरीब लोगों की समस्या , किसानों की समस्या , दलित समस्या आदि।
यदि एक समाज सेवक के रूप में हम आम लोगों की समस्या का निवारण करेंगे तो कुछ हद तक देश की समस्या कम होगी और इस तरह हम देश की सेवा करेंगे।
Answer:
मैं अपने देश भारत की सेवा एक सच्ची समाज सेवक बनकर करना चाहती हूं। समाज की सेवा ही परम सेवा है। ईश्वर ने हम सबको हाथ, पैर, दिमाग दिया है। मगर क्या हम सब उचित व्यवहार करते हैं। अपने दिमाग का, हाथ का ,पैर का यहां तक कि जुंबा को भी सही ढंग से प्रयोग नहीं करते। इस तरह देश की सेवा नहीं होती।
देश की सेवा के लिए सर्वप्रथम त्याग रुपी तप करने की आवश्यकता है। समाज में रहकर समाज के लोगों को समझने की जरूरत है। तभी हम समाज के सेवक बन पाएंगे।
समाज के लोग देश में रहते हैं और देश में कई समस्या है जिनका संबंध समाज के लोगों से होता है। जैसे गरीब लोगों की समस्या , किसानों की समस्या , दलित समस्या आदि।
यदि एक समाज सेवक के रूप में हम आम लोगों की समस्या का निवारण करेंगे तो कुछ हद तक देश की समस्या कम होगी और इस तरह हम देश की सेवा करेंगे।