answer me in Hindi plz....... all of six I will mark him brainliest
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1. manushya ke Jeevan mein Poshak ka Mein Tu Hai Ki Kisi bhi vyakti Ki Pehchan uski Poshak se ho jati hai
2 . poshak Archana Jab Ban Jati Hai Jab Hum achi Khasi Poshak pehan kar Apne se chote logo ka apmaan Karte Hain Auron Ki Izzat nahi karte hain.
3 lekhak us istree ke Rona hone ke Karan isliye Nahi Jaan paya tha Kyunki uske paas baith kar Uske hone ka Karan Jaane mein Unki poshak gandi Ho Jati
4. Bhagwan Apne Parivar ka Nivaran karne ke liye kheti Karta Tha
2 . poshak Archana Jab Ban Jati Hai Jab Hum achi Khasi Poshak pehan kar Apne se chote logo ka apmaan Karte Hain Auron Ki Izzat nahi karte hain.
3 lekhak us istree ke Rona hone ke Karan isliye Nahi Jaan paya tha Kyunki uske paas baith kar Uske hone ka Karan Jaane mein Unki poshak gandi Ho Jati
4. Bhagwan Apne Parivar ka Nivaran karne ke liye kheti Karta Tha
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Here is your answer...
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(क) मनुष्य के जीवन में पोशाक का महत्व या है कि पोशाक एक ही समाज में उसका दर्जा तथा अधिकार तय करती है।
(ख) जब हम अपने से किसी कम हैसियत रखने वाले मनुष्य के साथ बात करते हैं तब पोशाक ही हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है
(ग) लेखक स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि वह मुंह छिपाकर रो रही थी।
(घ) भगवाना अपनी डेढ़ बीघा जमीन में सब्जियां भेज कर अपने परिवार का निर्वाह करता था।
(ड़) लेखक के मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने चली गई क्योंकि घर कि मैं खाने के लिए कुछ भी नहीं था और घर में बच्चे भूखे थे और बहू को तेज बुखार।
(च) बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को संभ्रांत महिला की याद आ गई क्योंकि जब लेखक ने बुढ़िया के पुत्र शोक को देखा तब उसने अनुभव किया कि इस बेचारी के पास रोने धोने का भी अधिकार नहीं है जबकि उस महिला के घर काम करने वाले हर वक्त मौजूद रहते थें।
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(क) मनुष्य के जीवन में पोशाक का महत्व या है कि पोशाक एक ही समाज में उसका दर्जा तथा अधिकार तय करती है।
(ख) जब हम अपने से किसी कम हैसियत रखने वाले मनुष्य के साथ बात करते हैं तब पोशाक ही हमारे लिए बंधन और अड़चन बन जाती है
(ग) लेखक स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि वह मुंह छिपाकर रो रही थी।
(घ) भगवाना अपनी डेढ़ बीघा जमीन में सब्जियां भेज कर अपने परिवार का निर्वाह करता था।
(ड़) लेखक के मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने चली गई क्योंकि घर कि मैं खाने के लिए कुछ भी नहीं था और घर में बच्चे भूखे थे और बहू को तेज बुखार।
(च) बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को संभ्रांत महिला की याद आ गई क्योंकि जब लेखक ने बुढ़िया के पुत्र शोक को देखा तब उसने अनुभव किया कि इस बेचारी के पास रोने धोने का भी अधिकार नहीं है जबकि उस महिला के घर काम करने वाले हर वक्त मौजूद रहते थें।
TR0YE:
please....bhai brainlist lr do
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