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प्रस्तावना
2019 में दीवाली के कुछ दिन बाद ही राजधानी दिल्ली में पॉल्यूशन हॉलीडे हुआ। यह अत्यंत चौंकाने वाली बात थी कि, दिल्ली सरकार को पॉल्यूशन के कारण विद्यालय बंद कराना पड़ा। कितने दुःख की बात है। ऐसी नौबत आ गयी है, अपने देश में।
पर्यावरणीय प्रदूषण आज के टाइम की सबसे बड़ी प्राब्लम है। विज्ञान की अधिकता ने हमारे जीवन को सरल तो बनाया है, साथ ही प्रदूषण बढ़ाने में भी योगदान दिया है। मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति से बहुत छेड़छाड़ किया है। प्रकृति का अपना नियम होता है, सभी जीव-जंतु उसी नियम के हिसाब से अपना-अपना जीवन-चक्र चलाते हैं, किंतु हम मनुष्यों ने इससे पर्याप्त छेड़-छाड़ किया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है।
प्रदूषण के मुख्य कारण
प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं -
वनों की कटाई
बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण कारण हैं, जिस कारण लगातार वनों को काटा गया है। पर्यावरण प्रदूषण के पीछे सबसे बड़े कारणों में से एक निर्वनीकरण है। वृक्ष ही वातावरण को शुध्द करते हैं। वनोन्मूलन के कारण ही वातावरण में ग्रीन-हाउस गैसों की अधिकता होते जा रही है। जिसके दुष्परिणाम ग्लोबल-वार्मिग के रूप में प्रकट हो रही है। क्योंकि पेड़ ही पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइआऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं।
उद्योग-धंधे
भोपाल गैस त्रासदी अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कारखाने में कीटनाशक रसायन को बनाने के लिए मिक गैस का उत्पादन होता था। इस गैस संयंत्र के कारखाने में 2-3 दिसंबर 1984 को जहरीली मिक गैस(मिथाइल आइसो सायनाइड) के रिसाव के कारण कुछ ही घंटो में करीबन 2500 लोगो की जान चली गयी थी। और हजारों घायल हुए थे। हजारों जानवरो की मृत्यु हो गयी थी। इस घटना को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।
इस घटना की चर्चा यहाँ इसलिए की, क्योंकि यह औद्योगिकीकरण के कारण हुए प्रदूषण का उदाहरण है। इतना ही नहीं, 6 से 9 अगस्त, 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में किए गए एटॉमिक बम अटैक के कारण हुए भयंकर परिणाम से पूरी दुनिया वाक़िफ है। उसके कारण हुए वायु-प्रदूषण से जापान आज तक उबर नहीं पाया है। अटैक के कारण विनाशकारी गैसें सम्पूर्ण वायु-मंडल में समा गयी थी।
वैज्ञानिकों की माने तो औद्योगिकीकरण के नाम पर बीते 100 सालों में 36 लाख टन कार्बन डाइआऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी गयी है, जिस कारण हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ा है। और तो और मौसम में तब्दीलियां भी इसी कारण हो रही हैं, जैसे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा, अम्लीय वर्षा, बर्फ का पिघलना, समुद्र के जल-स्तर में वृध्दि होना आदि। अकेले अमेरिका विश्व का लगभग 21% कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जित करता है।
निष्कर्ष
बढ़ता प्रदूषण आज समुल विश्व का सरदर्द बन चुका है। प्रदूषण के कारण चीजें दिन पर दिन बद से बदतर होती जा रही है। चूँकि पूरा विश्व इसके प्रति गंभीर है। लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, जैव विविधता दिवस आदि मनाये जाते है। समय-समय पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए स्कॉटहोम सम्मेलन, मॉट्रियल समझौता आदि होता रहा है।