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पराधीनता हमारी आत्मा को मार देती है। जो व्यक्ति अन्य के अधीन हो, उसे कभी सम्मान और आत्म-गौरव
की अनुभूति नहीं हो पाती। हीनता की भावना से ग्रस्त रहकर वह अपमानित जीवन बिताने के लिए विवश
हो जाता है। पराधीनता से मुक्ति के लिए जो भी मूल्य चुकाना पड़े, कम है। कायर व्यक्ति स्वाधीनता का
महत्व नहीं समझता है। वह संघर्ष से डरता है। कायर और डरपोक व्यक्ति स्वाधीन रह ही नहीं सकता। वही
व्यक्ति और वही जाति स्वाधीन रह सकती है जो संघर्ष करना जानती है। भाग्य पर रोने वाले तथा दासता
को नियति मानने वाले कभी भी सुखी नहीं रह सकते। कहा भी जाता है कि पराधीन को सपने में भी सुख
नहीं मिलता।
(क) पराधीन व्यक्ति किस अनुभूति से वंचित रह जाता है?
(ख) पराधीन व्यक्ति कैसा जीवन बिताने के लिए विवश हो जाता है?
(ग) कायर व्यक्ति स्वाधीन क्यों नहीं रह पाता?
(घ) स्वाधीन रहने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता क्या है?
(ङ) गद्यांश के लिए उचित शीर्षक लिखिए।
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Answer:
1_samman or aatm gaurv ki anubhuti nhi hoti
Explanation:
2apmanit jivn bitane ko vivsh hota h. 3_q ki vo sanghrs se darta h. 4 shavadhin rhne ke liye sbse jruri h sanghrs krna. 5_ is gdhyans ka uchi sishrk h svadhinta ke bare me janna
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