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नेताजी का चश्मा
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1) (i) कस्बे में प्रशासनिक विकास का कार्य कराने की जिम्मेदारी नगरपालिका की थी जो समय-समय पर नगर के सौंदर्यीकरण से जुड़े कार्य करती रहती थी, इसमें चौराहों पर प्रेरणा देने वाले लोगों की मूर्तियाँ लगाना भी शामिल था।
(ii) इसका आशय खुले मैदान में सिनेमा दिखाने की व्यवस्था से है। उस समय खुले मैदान में बड़े पर्दे पर जनता को सिनेमा दिखाने की व्यवस्था की जाती थी।
(iii) कस्बा उसे कहते हैं जहाँ जनता की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए सभी सुविधायें उपलब्ध हों। इसी प्रकार उस कस्बे में लड़कों का एक स्कूल और लड़कियों का एक स्कूल, एक सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका भी थी।
2) हालदार साहब के मन में देशभक्तों के लिए बहुत सम्मान था। वे कस्बे में लगी नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाले कैप्टन नाम के साधारण व्यक्ति की देशभक्ति की भावना के प्रति श्रद्धाभाव रखते थे | वे देशभक्तों का मजाक उड़ाने वालों की आलोचना से दु:खी होते थे | देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना होने के कारण ही वह नेताजी की मूर्ति को देखकर अटेंशन की मुद्रा में खड़े हो जाते थे | इससे पता चलता है कि हालदार साहब एक भावुक देशप्रेमी इन्सान है |
3) शीला अग्रवाल जैसी प्राध्यापिका किसी भी विद्यार्थी के जीवन को इस प्रकार सँवार सकती हैं-
(i) विद्यार्थी का उचित मार्गदर्शन करके |
(ii) उसकी सोच-समझ का दायरा बढ़ाकर |
(iii) उसकी रुचियों का विकास करने का अवसर देना |
(iv) स्वयं को उनके समक्ष आदर्श रूप में प्रस्तुत करके |
4) नेताजी की आँखों पर काँच की असली चश्मा लगा था। प्रतिमा पर पत्थर का चश्मा न लगा होने के संभावित कारण निम्नलिखित होंगे-
(i) नगरपालिका को देश के कुशल कारीगरों की जानकारी का अभाव होना |
(ii) अच्छी मूर्ति की लागतअनुमानित बजट से ज्यादा होना |
(iii) शासनावधि का समाप्त होना |
(iv) स्थानीय स्कूल मास्टर को ही मूर्ति बनाने का काम सौपना और एक महीने में ही मूर्ति बनाने का विश्वास दिलाना |
(v) जल्दबाज़ी में मास्टर द्वारा चश्मा न बनाने की भूल करना |
5) मूर्ति को देख कर ऐसा लगता था कि नगरपालिका को देश के अच्छे मूर्ति कारों की जानकारी नहीं होगी और अच्छी मूर्ति बजट से ज्यादा की होने के कारण काफी समय प्रशासनिक पत्राचार में लग गया,साथ ही प्रशासनिक अधिकारी के शासन अवधि समाप्त होने में बहुत कम समय शेष था इसीलिए नजदीकी हाई स्कूल के ड्रॉइंग मास्टर को मूर्ति बनाने का काम सौंपा गया। प्रशासनिक अधिकारियों की हड़बड़ाहट का अंदेशा मूर्ति देखकर लगाया जा सकता है।
6) हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति में चश्मा न होने की कमी खटकती थी | हालाँकि इस कमी को कैप्टन द्वारा असली फ्रेम लगाकर पूरा किया जाता था पर चूँकि मूर्ति संगमरमर की थी तो चश्मा भी संगमरमर का होना चाहिए था |
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Answer:
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