Hindi, asked by hetolichohy, 11 months ago

answer the question संस्मरण मे लेखक ने किसे याद किया है और क्यो? please type in hindi letters​

Answers

Answered by aayushmantripathi111
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Explanation:

please insert the name of the book and the chapter

Answered by pcygopal
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Explanation:

“रहस्यावद और छायावाद की अति सूक्ष्मता,

काल्पनिकता आदि के विरुद्ध सर्वेश्वर दयाल

सक्सेना समाजवाद और साम्यवाद से प्रभावित

होकर अति यथार्थ भावनाओं को बड़ी सजीवता

से अपनी रचनाओं में स्थान दिया है। जिससे

सांस्कृतिक जागरुकता पाठक के हृदय में बरवस

पैदा हो जाती है। नि: संदेह सर्वेश्वर दयाल

सक्सेना एक उच्चकोटि के साहित्यकार रहे हैं।

इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता।”

जीवन-परिचय- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म उत्तर-प्रदेश के बस्ती जिलें में सन्‌ 1927 में हुआ। उन्होंने ऐंग्ली संस्कृत उच्च विद्यालय, बस्ती से हाई स्कुल परीक्षा पास की। उसके बाद उन्होंने क्वींस कॉलेज, वाराणसी में अध्ययन किया तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने आडीटर जनरल इलाहाबाद के कार्यालय से अपने कर्ममय जीवन की शुरूआत की। तत्पश्चात वे अध्यापक, क्लर्क और उसके बाद आकाशवाणी में सहायक प्रोड्‌यूसर के रूप में कार्य किया। उन्होंने सन्‌ 1965 में साप्ताहिक पत्रिका ‘दिनमान’ के उप-संपादक के पद पर भी कार्य किया। जीवन के अंतिम वर्षो में उन्होंने ‘पराग’ नामक बच्चों की लोकप्रिय मासिक पत्रिका का सफलतापूर्वक संपादन किया। वे ‘तीसरा सप्तक’ के भी कवि थे। सन्‌ 1984 में उनका देहांत हो गया।

प्रमुख रचनाएँ- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने कहानी, कविता, उपन्यास, नाटक, यात्रा-वृतांत, निबंध जैसी अनेक विधाओं में रचना की है। उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं- ‘काठ की घंटियाँ, बाँस का फूल, एक सुनी नाव, गरम हवाएँ, कुआनों नदी, जंगल का दर्द, खुटियों पर टँगे लोग उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं। बकरी, सोया हुआ जल, कल फिर भात आएगा, अब गरीबी हटाओ, राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती, लाख की नाक, लड़ाई, भौं-भौं, बतूता का जूता, पागल कुत्तों का मसीहा, चरचे और चरखे उनकी अन्य उल्लेखनीय रचनाएँ हैं।

साहित्यिक विशेषताएँ- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने बच्चों से लेकर प्रबुद्ध लोगों तक के लिए साहित्य की रचना की। उन्होंने अपने समय के समाज को बड़ी गहराई से देखा और बड़े कलात्मक ढंग से उस यथार्थ को अभिव्यक्त किया। उन्होंने समाज में व्याप्त विसंगतियों और अव्यवस्थाओं पर करारी चोट की है। उनको समस्त रचनाएँ स्वाभाविक एवं सहजता को अपनाए हुए हैं। उन्होंने भारतीय गाँवों और यहाँ की परम्पराओं का बड़ा ही मनमोहक चित्रण किया है। नई कविता के कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है।

भाषा-शैली- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की भाषा अत्यंत सरल, सहज एवं लोकभाषा की महक लिए हुए है। उन्होंने अपनी साधारण और सामान्य भाषा के माध्यम से असाधारण और असामान्य की अभिव्यक्ति बड़ी सफलता से की है।

मानवीय करुणा की दिव्य चमक

प्रस्तुत संस्मरण में लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने फ़ादर कामिल बुल्के की चारित्रिक और व्यवहारिक विशेषताओं को उकेरा है। यूरोप के बेल्जियम में जन्में फ़ादर बुल्के स्वयं को भारतीय कहते थे। उनकी जन्म भूमि रैम्स चैपल गिरजों, पादरियों, धर्म गुरुओं, संतों की भूमि कही जाती है। परंतु उन्होंने भारत को ही अपनी कर्मभूमि बनाया। लेखक के फ़ादर बुल्के से घनिष्ठ संबंध थे। फ़ादर बुल्के ने हिन्दी को समृद्ध और राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने में भरसक सहयोग दिया। लेखक का मानना है, जब तक रामायण है तब तक फ़ादर बुल्के को याद किया जाएगा।

फ़ादर को ज़हरबाद से नहीं मरना चाहिए था। जिसकी रगों में दूसरों के लिए मिठास भरे अमृत के अतिरिक्त और कुछ नहीं था उसके लिए इस ज़हर का विधान क्यों हो? यह सवाल किस ईश्वर से पूछें? प्रभु की आस्था ही जिसका अस्तित्व था। वह देह की इस यातना की परीक्षा की उम्र की आखिरी देहरी पर क्यों दें? एक लंबी, पादरी के सफ़ेद चोगे से ढकी आकृति सामने हैं- गोरा रंग, सफ़ेद झाई मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखे-बाँहें खोल गले लगाने को आतुर। इतनी ममता, इतना अपनत्व। इस साधु में अपने हर एक प्रियजन के लिए उमड़ता रहता था। मैं पैंतीस साल इसका साक्षी था। तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे। आज उन बाँहों का दवाब मैं अपनी छाती पर महसूस करता हूँ।

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