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1. कभी - कभी अचानक ही विधाता हमे ऐसे विलक्षण व्याक्तित्व से मिला देता है , जिसे देख स्वयं अपने जीवन की रिक्तता छोटी लगने लगती हैं ।
2. मनुष्य अपते जीवन में अकस्मात अकार०ण दंडित होने का दोष विधाता को देता है।
3. लेखक ने पिछले महीने जो काया देथी उसे आभिशप्त इसलिए कहा क्योंकि उसे विधाता ने कठोरतम दंड दिया ।
4. वह दंड को नतमस्तक मुर्दा में झेल ऱही है , विधाता को
कोसकर नहीं।
5. विधाता को कोसकर = विधाता सज्ञाँ , कोसकर सज्ञाँ ।
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