Hindi, asked by Yog2072, 11 months ago

Answer these in hindi it is अनुच्छेद लेखन

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Answered by skb97
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माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है। यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है। इसीलिए इसे ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। इसी समय से प्रकृति के सौंदर्य में निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए-नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करते हैं।

वन में टेसू के फूल आग के अंगारे की तरह लहक उठते हैं, खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल वसंत ऋतु की पीली साड़ी- सदृश दिखते हैं। आमों में बौर आ जाते हैं, गुलाब और मालती आदि के फूल खिलने लगते हैं। आम-मंजरी और फूलों पर भौंरे मँडराने लगते हैं और कोयल की कुहू-कुहू की आवाज प्राणों को उद्वेलित करने लगती है।

जौ-गेहूँ में बालें आने लगती हैं और वन वृक्षों की हरीतिमा मन को अपनी ओर आकर्षित करती है। पक्षियों के कलरव, पुष्पों पर भौरों का गुंजन तथा कोयल की कुहू-कुहू मिलकर एक मादकता से युक्त वातावरण निर्मित करते हैं।

माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है। यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है। इसीलिए इसे ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। इसी समय से प्रकृति के सौंदर्य में निखार दिखने लगता है।

वसंत पंचमी के दिन से ही होली आरंभ हो जाती है और उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाई जाती है। इस दिन से होली और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। लोग वासंती वस्त्र धारण कर गायन, वाद्य एवं नृत्य में विभोर हो जाते हैं। ब्रज में तो इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

वसंत पंचमी का उत्सव मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता हैं। इस अवसर पर ब्रजभूमि में भगवान्‌ श्रीकृष्ण और राधा के आनंद-विनोद का उत्सव मुख्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। छोटे बच्चों को अक्षरारंभ कराने के लिए भी यह अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन पितृ तर्पण एवं ब्राह्मण भोजन का भी विधान है। इसी दिन वसंत के सहचर कामदेव तथा रति की भी पूजा होती है।

चरक संहिता में कहा गया है कि इस दिन कामिनी और कानन में अपने आप यौवन फूट पड़ता है। इस दिन किसान नए अन्न में घी और गुड़ मिलाकर अग्नि तथा पितृ तर्पण करते हैं

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