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क - गोपियों की अवस्था का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - गोपियाँ मन ,कर्म और वचन से कृष्ण को अपना मान चुकी हैं ।उन्हें कृष्ण से अलग कुछ भी अच्छा नहीं लगता । सोते-जागते , दिन - रात यहाँ तक कि सपने में भी वे केवल कृष्ण के बारे में ही सोचते रहती हैं । कृष्ण की भक्ति ही अब उनके जीवन का अधार और उद्देश्य बन चुकी है । उन्होंने स्वयं को पूर्णत: कृष्ण की सेवा मे समर्पित कर दिया है ।
ख -गोपियों ने कृष्ण की तुलना किससे की है और क्यों ?
उत्तर- गोपियों ने कृष्ण की तुलना हारिल पक्षी की लकड़ी से किया है । जिस तरह हारिल पक्षी अपने पंजो में पकड़े हुए लकड़ी को नहीं छोड़ता ।वही उनके उड़ान का संबल या सहारा होता है ठीक उसी तरह गोपियाँ भी कृष्ण को नहीं छोड़ सकतीं । कृष्ण उनके जीवन के आधार हैं अत: उन्होंने भी कृष्ण भक्ति को दृढ़ता से पकड़ रखा है।
ग- उद्धव के योग-मार्ग के बारे में गोपियों के क्या विचार हैं?
उत्तर- गोपियाँ कृष्ण की अनन्य भक्त हैं उनके लिए कृष्ण ही सर्वस्व हैं । उनको योग-साधना में कोई रूचि नहीं है। उनके अनुसार उद्धव की कठिन योग- साधना प्रेम का जगह नहीं ले सकती। उद्धव के योग-साधना के सन्देश ने उनकी विराहाग्नि को और बढ़ा दिया। उन्होंने योग-साधना को नीरस और बेकार माना।