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परोपकार:
परोपकार को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। व्यास जी ने परोपकार को अठारह पुराणों का निचोड़ बताया है। अपनी भलाई के बारे में तो हर कोई सोचता है, मानव वही है जो दूसरों की भलाई सोचता है। वही बड़ा है जो सारे संसार को खुश देखना चाहता है। परोपकार वह गुण है जिसे अपनाकर व्यक्ति को मानसिक सुख एवं संतुष्टि प्राप्त होती है। समाज परोपकारी व्यक्ति को युगो - युगो तक याद रखता है, संसार उनकी जय-जयकार करता है।
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ᴘᴀʀᴏᴘᴀᴋᴀʀ
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