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- आज भी नारी का स्थान द्वितीय कोटि के नागरिक जैसा ही है ।
- स्त्री -जाती का शोषण, दहेज की मांग, दहेज न मिलने पर स्त्री को जला देने के उपक्रम आदि स्त्री -पुरुष समानता की कलई खोल रहे हैं ।
- समाज में आज भी पुत्री के जन्म पर लोग दुखी होते हैं ।
- नारी में जागरुकता का अभाव, अशिक्षा, हीनतर सामाजिक स्थिति ही उसकी दुर्दशा के मूल कारण है ।
- "नारी की दुर्दशा"
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