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रैदास ने पहले पद में विविध उदाहरणों द्वारा अपने निराकार भक्ति प्रकट की है वह अपने प्रभु घट घटावसी हैं वे अपने प्रभु मैं एक प्रकार मिल गए हैं कि उनको अलग करने करके देखा नहीं जा सकता कवि ने दूसरे पद में अपने आराध्य के दीन दयालु वा सर्वगुण संपन्न रूप का गुणगान किया है जो ऊंच-नीच के भेदभाव नहीं तथा उसकी भी कुल गोत्र में उत्पन्न अपने को सहज भाव से अपना कर उसे दूसरों में सम्मान दिलाता है या उसके सारणिक में मुक्त एक कर अपने चरणों में स्थान भरते हैं नामदेव कबीर सजना आदिम जाति में उत्पन्न भक्तों को उच्च स्थान दिलाने तथा उनका उद्धार करने का उदाहरण देकर कवि ने अपने कथन को प्रमाणित किया हहै
अगर आपको मेरा उत्तर अच्छा लगे तो मुझे प्लीज ब्रेन लिस्ट मार्क करें
धन्यवाद शुक्रिया
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