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आज के बदलते परिवेश मे संवेदनशील भावनाएँ समाप्त होती जा रही हैं। अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ के आधार पर बताइए।
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आज के बदलते परिवेश में लोग आत्म केंद्रित हो गए हैं। बड़े-बड़े घर सिमटकर छोटे-छोटे घरों में बदलते जा रहे हैं। पहले लोगों के घरों में बड़े बड़े दलान व आंगन होते थे। संयुक्त परिवार में सब जन मिल-जुल कर रहते थे। बड़े बड़े परिवार होते थे, जो दुख-मुसीबत में दूसरे के काम आते थे। आजकल के लोग आत्म केंद्रित हो गए हैं और एकल परिवारों का चलन बढ़ गया है। लोग अपने आप में ही सिमट कर रह गए हैं। लोगों की समस्याएं अधिक हो गई और आवश्यकताएं अधिक हो गई है, इस कारण उन्हें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में ही सारा समय निकल जाता है। लोगों में आपसी आत्मीयता कम हो गई है, इसी कारण अब दूसरों के दुखों से दुखी होने वाले लोग कम ही मिलते हैं।
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