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ख।
प्रत्येक
विद्यार्थी के जीवन में परीक्षा बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। परीक्षा शुरू होते ही
बच्चों पर दबाव बढ़ जाता है। परीक्षा चाहे कोई भी हो, परीक्षा तो परीक्षा ही है। और
इसके लिए तैयारी तो करनी पड़ती है। परीक्षा खत्म होने तक का समय बड़ा ही कठिन होता
है। यह समय न केवल छात्रों के लिए अपितु माता-पिता के लिए भी यह दौर कठिन ही होता
है।
परीक्षा
के कुछ दिन पहले से लेकर परीक्षा समाप्त होने तक विद्यार्थियों का पूरा ध्यान
पढ़ाई-लिखाई पर केंद्रित हो जाता है। खेलकूद लगभग बंद हो जाते है। टीवी देखना,
घूमने जाना न के बराबर होता है। मनपसंद कार्यक्रम देखने को नहीं मिलते है। और अगर
परीक्षा बोर्ड की हो तो फिर रातों की नींद और भूख भी कम हो जाती है।
ऐसे में
अगर घर में कोई मेहमान आ जाए तो अच्छा नहीं लगता। घर में भाई बहनों के शोर मचाने
से झुंझलाहट होने लगती है। परीक्षा वाले दिन बैचेनी और अधिक बढ़ जाती है। आरंभ से
लेकर अंत तक मन में डर होता है। और जैसे ही पूरी परीक्षा समाप्त होती है वैसे ही
विद्यार्थी राहत की सास लेते है।
दिल्ली मेट्रो रेल भारत की राजधानी दिल्ली- एनसीआर की मेट्रो रेल परिवहन व्यवस्था है जो दिल्ली मेट्रो रेल निगम लिमिटेड द्वारा संचालित है।[3][4] इसका शुभारंभ २४ दिसंबर, २००२ को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई।[5] इस परिवहन व्यवस्था की अधिकतम गति ८०किमी/घंटा (५०मील/घंटा) रखी गयी है और यह हर स्टेशन पर लगभग २० सेकेंड रुकती है। सभी ट्रेनों का निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी रोटेम (ROTEM) द्वारा किया गया है। दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में मेट्रो रेल एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे पहले परिवहन का ज्यादतर बोझ सड़क पर था। प्रारंभिक अवस्था में इसकी योजना छह मार्गों पर चलने की थी जो दिल्ली के ज्यादातर हिस्से को जोड़ते थे। इस प्रारंभिक चरण को २००६ में पूरा किय़ा गया। बाद में इसका विस्तार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गाँव और नोएडा तक किया गया। इस परिवहन व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर भारत के दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश[6][7][8], राजस्थान[9][10], कर्नाटक[11], आंध्र प्रदेश[11] एवं महाराष्ट्र[11] में भी इसे चलाने की योजनाएं बन रही हैं। दिल्ली मेट्रो रेल व्यव्स्था अपने शुरुआती दौर से ही ISO १४००१ प्रमाण-पत्र अर्जित करने में सफल रही है जो सुरक्षा और पर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
दिल्ली मेट्रो
जानकारी
क्षेत्र
दिल्ली, भारत
यातायात प्रकार
त्वरित यातायात
लाइनों की संख्या
६
स्टेशनों की संख्या
१३५[1]
प्रतिदिन की सवारियां
१६,००,००० प्रतिदिन[2]
प्रचालन
प्रचालन आरंभ
२४ दिसंबर, २००२
संचालक
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड
तकनीकी
प्रणाली की लंबाई
317 किलोमीटर (197 मील)[1]
पटरी गेज
१,६७६ मि.मि. (५ फी. ६ इं.) (ब्रॉड गेज)
दिल्ली मेट्रो भारत में सबसे बड़ा और व्यस्ततम मेट्रो है, और दुनिया की 9वीं सबसे लंबी मेट्रो प्रणाली लंबी अवधि में और 16 वीं सबसे बड़ी सवारी में है। CoMET के एक सदस्य, नेटवर्क में आठ रंग-कोडित नियमित रेखाएं होती हैं, जिसमें कुल लंबाई 317 किलोमीटर (197 मील) है जो 229 स्टेशनों (6 स्टेशन सहित एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन और इंटरचेंज स्टेशनों ) की सेवा करती है।[12][13] इस प्रणाली में ब्रॉड-गेज और मानक-गेज दोनों का उपयोग करके भूमिगत, एट-ग्रेड और उन्नत स्टेशनों का मिश्रण है। पावर आउटपुट 25 किलोवाल्ट, 50-हर्ट्ज वैकल्पिक ओवरहेड कैटेनरी के माध्यम से वैकल्पिक रूप से आपूर्ति की जाती है। ट्रेन आमतौर पर छह और आठ कोच लंबाई होती है। डीएमआरसी प्रतिदिन 2,700 से अधिक यात्राएं संचालित करती है, पहली ट्रेनें लगभग 05:00 बजे शुरू होती हैं और आखिरी बार 23:30 बजे होती हैं। 2016-17 के वित्तीय वर्ष में, दिल्ली मेट्रो में 2.76 मिलियन यात्रियों की औसत दैनिक सवारता थी और वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 100 करोड़ (1.0 अरब) सवार थे।
सितंबर २०११ में संयुक्त राष्ट्र ने "स्वच्छ विकास तंत्र" योजना के तहत हरित गृह गैसों में कमी लाने के लिए दिल्ली मेट्रो को दुनिया का पहला "कार्बन क्रेडिट" दिया जिसके अंतर्गत उसे सात सालों के लिए 95 लाख डॉलर मिलेंगे।[14]
प्रत्येक
विद्यार्थी के जीवन में परीक्षा बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। परीक्षा शुरू होते ही
बच्चों पर दबाव बढ़ जाता है। परीक्षा चाहे कोई भी हो, परीक्षा तो परीक्षा ही है। और
इसके लिए तैयारी तो करनी पड़ती है। परीक्षा खत्म होने तक का समय बड़ा ही कठिन होता
है। यह समय न केवल छात्रों के लिए अपितु माता-पिता के लिए भी यह दौर कठिन ही होता
है।
परीक्षा
के कुछ दिन पहले से लेकर परीक्षा समाप्त होने तक विद्यार्थियों का पूरा ध्यान
पढ़ाई-लिखाई पर केंद्रित हो जाता है। खेलकूद लगभग बंद हो जाते है। टीवी देखना,
घूमने जाना न के बराबर होता है। मनपसंद कार्यक्रम देखने को नहीं मिलते है। और अगर
परीक्षा बोर्ड की हो तो फिर रातों की नींद और भूख भी कम हो जाती है।
ऐसे में
अगर घर में कोई मेहमान आ जाए तो अच्छा नहीं लगता। घर में भाई बहनों के शोर मचाने
से झुंझलाहट होने लगती है। परीक्षा वाले दिन बैचेनी और अधिक बढ़ जाती है। आरंभ से
लेकर अंत तक मन में डर होता है। और जैसे ही पूरी परीक्षा समाप्त होती है वैसे ही
विद्यार्थी राहत की सास लेते है।
दिल्ली मेट्रो रेल भारत की राजधानी दिल्ली- एनसीआर की मेट्रो रेल परिवहन व्यवस्था है जो दिल्ली मेट्रो रेल निगम लिमिटेड द्वारा संचालित है।[3][4] इसका शुभारंभ २४ दिसंबर, २००२ को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई।[5] इस परिवहन व्यवस्था की अधिकतम गति ८०किमी/घंटा (५०मील/घंटा) रखी गयी है और यह हर स्टेशन पर लगभग २० सेकेंड रुकती है। सभी ट्रेनों का निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी रोटेम (ROTEM) द्वारा किया गया है। दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में मेट्रो रेल एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे पहले परिवहन का ज्यादतर बोझ सड़क पर था। प्रारंभिक अवस्था में इसकी योजना छह मार्गों पर चलने की थी जो दिल्ली के ज्यादातर हिस्से को जोड़ते थे। इस प्रारंभिक चरण को २००६ में पूरा किय़ा गया। बाद में इसका विस्तार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गाँव और नोएडा तक किया गया। इस परिवहन व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर भारत के दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश[6][7][8], राजस्थान[9][10], कर्नाटक[11], आंध्र प्रदेश[11] एवं महाराष्ट्र[11] में भी इसे चलाने की योजनाएं बन रही हैं। दिल्ली मेट्रो रेल व्यव्स्था अपने शुरुआती दौर से ही ISO १४००१ प्रमाण-पत्र अर्जित करने में सफल रही है जो सुरक्षा और पर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
दिल्ली मेट्रो
जानकारी
क्षेत्र
दिल्ली, भारत
यातायात प्रकार
त्वरित यातायात
लाइनों की संख्या
६
स्टेशनों की संख्या
१३५[1]
प्रतिदिन की सवारियां
१६,००,००० प्रतिदिन[2]
प्रचालन
प्रचालन आरंभ
२४ दिसंबर, २००२
संचालक
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड
तकनीकी
प्रणाली की लंबाई
317 किलोमीटर (197 मील)[1]
पटरी गेज
१,६७६ मि.मि. (५ फी. ६ इं.) (ब्रॉड गेज)
दिल्ली मेट्रो भारत में सबसे बड़ा और व्यस्ततम मेट्रो है, और दुनिया की 9वीं सबसे लंबी मेट्रो प्रणाली लंबी अवधि में और 16 वीं सबसे बड़ी सवारी में है। CoMET के एक सदस्य, नेटवर्क में आठ रंग-कोडित नियमित रेखाएं होती हैं, जिसमें कुल लंबाई 317 किलोमीटर (197 मील) है जो 229 स्टेशनों (6 स्टेशन सहित एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन और इंटरचेंज स्टेशनों ) की सेवा करती है।[12][13] इस प्रणाली में ब्रॉड-गेज और मानक-गेज दोनों का उपयोग करके भूमिगत, एट-ग्रेड और उन्नत स्टेशनों का मिश्रण है। पावर आउटपुट 25 किलोवाल्ट, 50-हर्ट्ज वैकल्पिक ओवरहेड कैटेनरी के माध्यम से वैकल्पिक रूप से आपूर्ति की जाती है। ट्रेन आमतौर पर छह और आठ कोच लंबाई होती है। डीएमआरसी प्रतिदिन 2,700 से अधिक यात्राएं संचालित करती है, पहली ट्रेनें लगभग 05:00 बजे शुरू होती हैं और आखिरी बार 23:30 बजे होती हैं। 2016-17 के वित्तीय वर्ष में, दिल्ली मेट्रो में 2.76 मिलियन यात्रियों की औसत दैनिक सवारता थी और वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 100 करोड़ (1.0 अरब) सवार थे।
सितंबर २०११ में संयुक्त राष्ट्र ने "स्वच्छ विकास तंत्र" योजना के तहत हरित गृह गैसों में कमी लाने के लिए दिल्ली मेट्रो को दुनिया का पहला "कार्बन क्रेडिट" दिया जिसके अंतर्गत उसे सात सालों के लिए 95 लाख डॉलर मिलेंगे।[14]
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