Hindi, asked by eramtaiyaba374, 1 year ago

Anth bhala toh sab bhala story in Hindi

Answers

Answered by sahibpreetsingh43
1

                 अंत भला तो सब भला

दीवाली का दिन था, जगमगाते दीए, फुलझड़ियों की झिलमिलाहट, सजे हुए बाज़ार, पूजाघर में गन्ने और धान के साथ लक्ष्मीपूजन और सभी घरों में मिठाइयों और ड्राइफ्रूट से सजी मेज़. रिश्तेदार, दोस्त और पड़ोसी एक दूसरे को तोहफे दे रहे थे. तोहफे में एक चीज़ आमतौर पर दी जाती है - सूखे मेवे (ड्राई फ्रूट) का डब्बाΙ और आमतौर पे ये डब्बा एक घर से दूसरे घर घूमता रहता हैΙ

ऐसा ही एक डब्बा मिसेज़ गुप्ता ने सोसाइटी प्रेसिडेंट चौहान जी की बीवी को दियाΙ वैसे ये डब्बा मिसेज गुप्ता के पति को ऑफिस में उनके जूनियर चेतन जी ने दिया थाΙ और चेतन को उनके साले जी ने, और साले जी को उनके डिस्ट्रीब्यूटर मल्होत्रा नेΙ लेकिन डब्बा खोला किसी ने नहीं. कई घरों में बच्चों ने खोलने की नाकाम कोशिश की, लेकिन उन्हें ये कहकर मना कर दिया गया कि "गिफ्ट पैक मत खोलो किसी को देने में काम आएगा Ι"

उस तोहफे के रंगीन पन्नी में लिपटे डब्बे के अंदर छह खाने बने थे और उनमें रखे थे काजू, बादाम, अखरोट, द्राक्ष, अंजीर, और आखिर में सबसे खूबसूरत चीज़ "पिस्ते"! अपनी अधखुली आंखों सी खोल से झांकते हरे और सुर्ख शर्मीले से पिस्तेΙ ना जाने किस किस देश प्रदेश में उगे, कितने सफ़र किए, कितने तराजुओं पर तुले, भाव मोल हुए, तब कहीं जाकर इस डब्बे में भरे गएΙ

लेकिन तोहफे के खुलने का समय ही नहीं आ रहाΙ सब एक दूसरे को आगे से आगे टिकाए जा रहे थेΙ अरे कोई तो उन पिस्तों को अपने हाथ में उठाए, प्यार भरी नज़रों से देखे और अपने मुंह में रख के उनका स्वाद ले और बोले, "वाह क्या शानदार स्वादिष्ट पिस्ते हैंΙ" बस तभी तो उन पिस्तों का जीवन सफल हो और उन्हें मोक्ष मिलेΙ पर जीवन इतना सरल कहां, जब इंतज़ार लंबा लिखा हो तो सवारी कितनी ही तेज़ क्यों न हो, आदमी पहुंचता कहीं नहींΙ अपने अपने हिस्से के इंतज़ार तो सबको पूरे करने पड़ते हैंΙ

उन पिस्तों में एक पिस्ता ऐसा भी था जिसका छिलका बाकी पिस्तों की तरह बदलते मौसम के साथ चटक (खुल) नहीं पायाΙ पर फिर भी वो छंटाई में बचता हुआ यहां तक आ पहुंचा. उसका इंतज़ार तो और भी लंबा होने वाला था क्योंकि जब तक एक भी सही पिस्ता डब्बे में होगा, उसे कोई हाथ नहीं लगाने वालाΙ और क्या जाने कोई खोलेगा भी या ऐसे ही फेंक देगाΙ

और फिर काफी लंबे इंतज़ार के बाद वो सूखे मेवे पहुंचे कोहली साहब के घर. दीवाली के अगले शाम कोहली साहब ने अपनी पसंदीदा सिंगल माल्ट व्हिस्की का पेग बनाया और नुसरत साहब की क़वाल्ली लगा के चुस्की लेने लगेΙ मैडम कोहली बाथरूम में थीं तो पेग के साथ का चखना ढूंढ़ने खुद ही रसोई में जा पहुंचे, और नज़र पड़ी चौहान जी के यहां से तोहफे में आए डब्बे परΙ उन्होंने डब्बे के साथ साथ पिस्तों के नसीब खोल दिए और एक एक पिस्ते चुन चुन के खाने लगे. कोहली साब मस्त मौला आदमी थे, खाओ पियो और बत्ती भी मत बुझाओ, चालू रहने दोΙ बेपरवाहΙ

मैडम कोहली अंग्रेजी स्कूल में प्रिंसिपल थीं, एकदम कड़क, अनुशासन वाली लेकिन थीं बड़ी खूबसूरत, कॉलेज समय में मिस चंडीगढ़ रही हुई थीं. मॉडलिंग के ऑफर आए लेकिन पढ़ाई और स्पोर्ट्स में ज्यादा रुचि थी, इसलिए पीएच.डी. भी की और बास्केटबॉल के नेशनल्स भी खेलेΙ

उन्होंने बाथरूम से आते ही देखा खुला डिब्बा और बिखरे पिस्ते के छिलके तो बोली - "ए की कित्ता? नया गिफ्ट पैक खोल दित्ता?"

कोहली साहब चुटकी लेते हुए बोले - "होर की करना है, इस डब्बे नू की द ममी बनाना सी?"

मैडम कोहली ने हाथ मारा अपने सर पे, और आज छोटी दीवाली भी पेग बना लित्ता? मैडम जी गुस्से में जाके दूसरे कमरे में टीवी देखने लगींΙ कोहली साहब ने अपना तीसरा पेग ख़त्म किया और सारे पिस्तों को मोक्ष दे दिया, सिवाय उस बंद पिस्ते कोΙ अब कौन ज़हमत उठाए कमबख्त इसे तोड़ने कीΙ

Similar questions