antrashtriy ke Aadhar Per Hindi Mein Rojgar Ki Sambhavnao Ka vargikaran kijiye
Answers
Explanation:
किसी भी देश की राष्ट्रभाषा वही मानी जाती है, जिसका अपने देश की संस्कृति, सभ्यता व साहित्य से गहरा संबंध हो। राष्ट्रभाषा बनने के लिए यह भी आवश्यक है कि उसे देश की बहुसंख्यक जनता बोलती व समझती हो। अपने देश के संदर्भ में हिन्दी पर ये सभी बातें सही ठहरती हैं। हिन्दी को न सिर्फ भारत की राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त है, बल्कि यह सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। आज भारी संख्या में विदेशी छात्र हिन्दी सीखने के लिए भारत आ रहे हैं। कई तकनीकी रोजगार हिन्दी के बल पर मिलते नजर आ रहे हैं। हिन्दी के भविष्य व बाजार को देखते हुए कहना गलत न होगा कि आने वाला समय और भी रोजगारपरक होगा।
कम नहीं है लोकप्रियता
देश में विदेशी चैनलों का आगमन हुआ तो लगा कि हिन्दी का वजूद घट जाएगा, लेकिन हिन्दी की उपयोगिता का ही आलम है कि आज सबसे ज्यादा देखा जाने वाला चैनल एवं सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला समाचार पत्र हिन्दी में ही है। हिन्दी सिनेमा भी लोगों के लिए एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा है। माइक्रोसॉफ्ट ने भी हिन्दी पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए हिन्दी में ऑपरेटिंग सिस्टम शुरू किया गया। बीबीसी सहित कई वेबसाइट्स अपना हिन्दी पोर्टल चला रही हैं। आईटी ने भी ऑनलाइन हिन्दी सीखने के लिए नया ट्रेंड शुरू किया है।
कब रखें कदम
हिन्दी भाषा से संबंधित दो तरह के कोर्स मौजूद हैं- परंपरागत और प्रोफेशनल।
परंपरागत बैचलर कोर्स में बारहवीं के बाद प्रवेश मिलता है, जबकि मास्टर डिग्री में स्नातक के बाद कदम रख सकते हैं। इसके बाद एमफिल व पीएचडी की राह आसान हो जाती है, जबकि प्रोफेशनल्स कोर्स में स्नातक के बाद ही मौका मिलता है।
कुछ प्रमुख कोर्स
हिन्दी में बीए, एमए, बीएड, एमएड, एमफिल व पीएचडी
एमए इन फंक्शनल हिन्दी
सर्टिफिकेट कोर्स इन क्रिएटिव राइटिंग' पीजी डिप्लोमा इन हिन्दी जर्नलिज्म’पीजी डिप्लोमा इन क्रिएटिव राइटिंग इन हिन्दी ’पीजी डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन (हिन्दी)’ पीजी सर्टिफिकेट इन हिन्दी जर्नलिज्म
कोर्स की उपयोगिता
भारत की सभ्यता, संस्कृति एवं धर्म को देखते हुए अन्य भाषाओं की भांति हिन्दी में भी कई कोर्स शुरू किए गए हैं। भूमंडलीकरण के बाद से इसमें तेजी से बदलाव देखने को मिला। खुद अमेरिका में हिन्दी का 45 वर्ष पुराना इतिहास है। आज स्थिति यह है कि वहां पर 100 से भी ज्यादा संस्थानों में हिन्दी की पढ़ाई होती है। भारत में डिप्लोमा, बैचलर डिग्री, मास्टर डिग्री व पीएचडी लेवल पर कई कोर्स हैं, जो हिन्दी की उपयोगिता में चार चांद लगा रहे हैं। इन कोर्स की अवधि तीन माह से लेकर 3-4 साल तक है।
एक्सपर्ट व्यू
चमकदार दुनिया है हिन्दी की
हिन्दी को लेकर जो पुरानी मानसिकता है, वह टूट जानी चाहिए। हिन्दी में भरपूर ताकत है, जो लोगों को रोजगार तक ले जा सकती है। हिन्दी की लोकप्रियता बढ़ती देख अंग्रेजी के लोग भी हिन्दी मीडिया की ओर आकर्षित हो रहे हैं। निश्चित तौर पर यह हिन्दी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इस चुनौती से निपटने के लिए हिन्दी वालों को भी द्विभाषी बनना होगा। हिन्दी में पकड़ बनाने के लिए भाषा दक्षता की जरूरत होती है। विदेशी कंपनियां भारत में कारोबार करने की इच्छुक हैं तो उन्हें भी हिन्दी प्रोफेशनल्स चाहिए। आजकल हिन्दी में ब्लॉग, वेबसाइट और मोबाइल एप्स की भरमार है। इसके लिए हिन्दी के जानकारों की मांग है। विदेशों में भी इनकी भारी मांग है।
प्रो़ हरिमोहन शर्मा, हेड, हिन्दी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
प्रमुख संस्थान
दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), नई दिल्ली
भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा (छह जगह शाखाएं मौजूद)
फायदे एवं नुकसान
राष्ट्रीयता का बोध
रोजगार की प्रचुरता
अंग्रेजी ज्ञान न होने पर दिक्कत
प्रमोशन की गति धीमी
मीडिया हाउस
सरकारी एवं प्राइवेट सेक्टर के मीडिया हाउसों में फंक्शनल हिन्दी के जरिए रोजगार की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। प्राइवेट टीवी व रेडियो चैनल अपने हिन्दी संस्करण ला रहे हैं। काफी बड़ी संख्या में हिन्दी में समाचार पत्र-पत्रिकाओं का निकलना बदस्तूर जारी है। इन क्षेत्रों में काम करने के भरपूर और विविध अवसर मिलते हैं।