Hindi, asked by jivan77, 11 months ago

Antriksh ki sair paragraph in Hindi​

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Answered by arohi200
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अंतरिक्ष की सैर के बारे में आपका क्या ख़याल है? तमाम परेशानियों से पार पाकर, प्रोजेक्ट की देरी को पीछे छोड़कर, कुछ कंपनियां अंतरिक्ष की सैर का सपना दिखा रही हैं. स्पेस टूर के पैकेज बेच रही हैं. कुछ अलग हटकर करने की चाहत रखने वालों के लिए ये सुनहरा मौक़ा है.

तो इसके लिए कौन सी कंपनी बेहतर होगी? किसका पैकेज सबसे अच्छा और सस्ता है? तो चलिए, आपको बताते हैं कि अंतरिक्ष की सैर के लिए बाज़ार में कौन से विकल्प उपलब्ध हैं.

वर्जिन गैलेक्टिक-

वर्जिन गैलेक्टिक, वर्जिन अटलांटिक हवाई सेवा देने वाली कंपनी का हिस्सा है. इसके मालिक मशहूर कारोबारी रिचर्ड ब्रैनसन हैं.

कंपनी कहती है कि अब तक सिर्फ़ 553 लोग अंतरिक्ष में जा सके हैं. उसका मक़सद बाक़ी लोगों के लिए ये विकल्प खोलना है.

वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी इसके लिए ख़ास तौर से स्पेसशिप-2 बना रही है. इसमें 6 मुसाफिर और 2 पायलट अंतरिक्ष जा सकेंगे. जब ये जहाज़ धरती से पंद्रह किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा तो आपका स्पेसक्राफ्ट एक रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में धकेला जाएगा. जब रॉकेट के इंजन अलग हो जाएंगे तो ये स्पेस प्लेन आपको पांच छह मिनट तक भारहीनता का एहसास कराएगा.

आप अंतरिक्ष में तैरने का तजुर्बा कर सकेंगे. इसकी खिड़कियों से नीचे धरती पर झांक सकेंगे. बस, इसके बाद धरती पर वापसी का सफ़र शुरू होगा. आप एक सामान्य विमान की तरह, वर्जिन के एयरपोर्ट पर उतरेंगे.

वर्जिन गैलेक्टिक का ये स्पेसप्लेन-2, इसके स्पेसशिप-1 का बेहतर वर्ज़न है. 2004 में लगातार कामयाब उड़ानों के बाद इसे कई अवार्ड मिले थे. इसके बाद ही कंपनी ने लोगों को अंतरिक्ष ले जाने की बुकिंग शुरू कर दी थी. कंपनी ने साल 2008 में ही लोगों को अंतरिक्ष की सैर कराने का वादा किया था. मगर ऐसा आठ साल बाद भी नहीं हो सका है.

अक्टूबर 2014 में अमरीका के मोहावे रेगिस्तान में टेस्ट फ्लाइट के दौरान स्पेसशिप-2 टूटकर बिखर गया था. इसमें एक पायलट की मौत भी हो गई थी. उस वक़्त ये स्पेसशिप, अंतरिक्ष से वापसी के वक़्त लैंडिंग का टेस्ट कर रहा था.

इस हादसे के बाद कंपनी ने नया रॉकेट विकसित किया है. मगर अब कंपनी लोगों को कब अंतरिक्ष की सैर पर ले जाएगी, ये बताने में आनाकानी कर रही है.

वर्जिन स्पेसशिप की मदद से अंतरिक्ष की सैर करने का ख़र्च बैठेगा क़रीब ढाई लाख डॉलर. हालांकि कंपनी अब तक टेस्ट फ्लाइट में ही पूरी तरह कामयाब नहीं हो सकी है. मगर इसके मालिक रिचर्ड ब्रैनसन के मज़बूत इरादे देखते हुए लगता है कि ये ख़्वाब भी वो पूरा कर ही लेंगे.

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Answered by choudharyuma29
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वर्तमान युग अंतरिक्ष और कम्प्यूटर का युग है। लेकिन अंतरिक्ष क्या है ? हम किसे अंतरिक्ष कह कर पुकारते हैं ? वस्तुत: यह सारा आकाश और इसका असीम, अबाध विस्तार ही अंतरिक्ष है ।

न इसका कहीं आरंभ है और न अंत । यह एक ऐसा विशाल शून्य है जिसका निरंतर विस्तार हो रहा है । सभी चीजों- आकाश गंगाओं, ग्रहों, नक्षत्रों, धूमकेतुओं, ब्लैक हाल्स आदि का इस में समावेश है । कुछ भी इससे बाहर नहीं है । हमारी पृथ्वी, सूर्य, चन्द्र आदि जो भी हैं और जिनकी हम कल्पना कर सकते हैं, वे सभी इसी में हैं ।

यह एक बड़ा विशाल रहस्यमय और अलौकिक ब्रह्मांड है । मानव प्रारंभ से ही अंतरिक्ष में यात्रा करने का स्वप्न देखता रहा है । आकाश-यात्रा की काल्पनिक कहानियां और कथाएं हमारे साहित्य में प्रारंभ से ही रही हैं । रॉकेट का आविष्कार अंतरिक्ष-यात्रा की ओर पहला महत्वपूर्ण कदम था । इनकी सहायता से कृत्रिम उपग्रह छोड़ने का क्रम प्रारंभ हुआ । रूस ने पहले स्युतनिक आकाश में छोड़े । उसने सर्वप्रथम लायका नामक एक कुतिया को रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा ।

फिर युरी गगारिन सबसे पहले अंतरिक्ष में गये । इसके पश्चात् तो अनेक अंतरिक्ष-यान सफलतापूर्वक छोड़े गये । पहले यान मानवरहित थे । परन्तु फिर मानव सहित अंतरिक्ष यान छोड़े गये । चंद्रमा पर मानव की विजय एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी जिसका श्रेय अमेरिका को जाता है । उसके दो एस्ट्रॉनॉट्‌स सबसे पहले चन्द्रमा की धरती पर उतरे ।

चन्द्रमा से आगे अन्य आकाशीय ग्रहों जैसे बृहस्पति शनि शुक्र मंगल आदि पर मानव को उतारने के भागीरथ प्रयत्न चल रहे हैं । इस संबंध में कई मानवरहित अंतरिक्ष यान रूस और अमेरिका ने अब तक आकाश में भेजें हैं । उनके बहुत अच्छे और सफल परिणाम निकले हैं । मानवं की ज्ञान-पिपासा का कोई अंत नहीं । जैसे-जैसे उसका अंतरिक्ष-ज्ञान आगे बढ़ता है, उसकी जिज्ञासा और भी बढ़ती जाती है ।

भारत भी अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में लगा हुआ है । लेकिन रूस और अमेरिका की तुलना में अभी बहुत पीछे हैं । 3 अप्रैल, 1984 के ऐतिहासिक दिन भारत का पहला व्यक्ति अंतरिक्ष में गया था । वह व्यक्ति राकेश शर्मा थे । यह रूस और भारत के बीच एक लम्बे सहयोग का परिणाम था ।

इसके साथ ही अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नये अध्याय का आरंभ हुआ राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में जाने का यह सौभाग्य अंतरिक्ष यान 80 सूयोज टी-II के द्वारा संभव हुआ । यह यान रूस के अंतरिक्ष स्टेशन बैकोनोर से छोड़ा गया था । राकेश शर्मा के साथ दो रूसी कॉस्मोनॉट्‌स भी थे ।

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