anubav mahan guru ki kahani
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Answer:ur question is half.
xplanation:
एक गांव में महान तलवरबाज़ रहा करता था. पूरा साम्राज्य उसकी महानता के गुण गाता। तलवार के दम पर उसने आपने राजा के लिए कई लड़ाईया जीती। लेकिन समय पर किसका जोर चलता है लड़ाईया बढ़ती गई और तलवरबाज़ बुढा होने लगा.
उसने तय किया की वो अपनी कला को व्यर्थ नही होने देगा और आने वाली पीढ़ी को तलवार से लड़ना सिखाएगा। कुछ ही समय में उसके पास बहुत सारे शिष्य आ गए जो तलवारबाज़ी सीखना चाहते थे। उसने अपनी पूरी मेहनत से अपनी तलवारबाज़ी के गुण अपने शिष्यो को सिखाना शुरू कर दिया।
उनके शिष्यो में एक ऐसा शिष्य था जो साधरण नही था उसने बहुत जल्द ही अपने गुरु से शिक्षा प्राप्त कर ली। और धीरे धीरे अपनी गुरु की तरह ही एक महान तलवरबाज़ बन गया।
लेकिन अब क्या? लोग उसे अभी भी उसके गुरु के नाम से ही जानते थे जबकि उसको लगता था की वो अपने गुरु से भी अच्छा तलवरबाज़ है इस बात का उसे घमण्ड होने लगा और जो नही होना चाहिए था.
वही हुआ शिष्य ने गुरु को चुनोती दे डाली और गुरु जी जो की अब बूढ़े हो चुके था, ने चुनोती स्वीकार कर ली। और मुकाबला एक सप्ताह बाद का रखा गया। शिष्य को लगा गुरु ने उसकी चुनोती स्वीकार कर ली तो पक्का उसने तलवारबाज़ी की सारी विधियाँ मुझे नही सिखाई. अब शिष्य परेशान रहने लगा और सोचने लगा ऐसी कौन से विधि है जो उसके गुरु ने उसे नही सिखाई.
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