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परोपकार पर निबंध (Paropkar Essay In Hindi)
परोपकार पर निबंध (Paropkar Essay In Hindi Language)
आज के इस लेख में हम परोपकार पर निबंध (Essay On Paropkar In Hindi) लिखेंगे। परोपकार पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
परोपकार पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Paropkar In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।
परोपकार पर निबंध (Paropkar Essay In Hindi)
प्रस्तावना
समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता, यह ऐसा काम है जिसके द्वारा शत्रु भी मित्र बन जाता है।यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए ,तो वह सच्चा मित्र बन जाता है| विज्ञान ने आज इतनी उन्नति कर ली है कि मरने के बाद भी हमारी नेत्र ज्योति और अन्य कई अंग किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को बचाने का काम कर सकते है।
इनका जीवन रहते ही दान कर देना महान उपकार है। परोपकार के द्वारा ईश्वर की समीपता प्राप्त होती है। मानव जीवन में इसका बहुत महत्व होता है। ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रहा है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है।
Explanation:
जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता, नदी अपना पानी नहीं पीती, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है, उसी प्रकार से प्रकृति अपना सर्वस्व हमको दे देती है। वह हमें इतना कुछ देती है लेकिन बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेती।
किसी भी व्यक्ति की पहचान परोपकार से की जाती है। जो व्यक्ति परोपकार के लिए अपना सब कुछ त्याग देता है वह अच्छा व्यक्ति होता है। जिस समाज में दूसरों की सहायता करने की भावना जितनी अधिक होगी, वह समाज उतना ही सुखी और समृद्ध होगा। यह भावना मनुष्य का एक स्वाभाविक गुण होता है।
परोपकार का अर्थ
परोपकार दो शब्दों से मिलकर बना है, पर + उपकार। इसका का अर्थ होता है दूसरों का अच्छा करना और दूसरों की सहयता करना। किसी की मदद करना ही परोपकार कहा जाता है।
परोपकार की भावना ही मनुष्यों को पशुओं से अलग करती है, नहीं तो भोजन और नींद तो पशुओं में भी मनुष्य की तरह पाई जाती हैं। अच्छा कर्म करने वालों का न यहां और ना ही परलोक में विनाश होता है।
अच्छा कर्म करने वाला दुर्गति को प्राप्त नहीं होता है। दुसरो की मदद करने वाला सच्चा वही व्यक्ति है, जो प्रतिफल की भावना न रखते हुए मदद करता है। मनुष्य होने के नाते हमारा यह नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि हम सब मनुष्यता का परिचय दें। मनुष्य ही मनुष्यता की रक्षा कर सकता है। इस कार्य के लिए कोई दूसरा नहीं आ सकता।
परोपकार शब्द ‘पर और उपकार’ शब्दों से मिल कर बना है जिसका अर्थ है दूसरों पर किया जाने वाला उपकार। ऐसा उपकार जिसमें कोई अपना स्वार्थ न हो उसे परोपकार कहते हैं। परोपकार को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है और करुणा, सेवा सब परोपकार के ही पर्यायवाची हैं। जब किसी व्यक्ति के अन्दर करुणा का भाव होता है तो वो परोपकारी भी होता है।
परोपकार का अर्थ
किसी व्यक्ति की सेवा या उसे किसी भी प्रकार के मदद पहुंचाने की क्रिया को परोपकार कहते हैं। यह गर्मी के मौसम में राहगीरों को मुफ्त्त में ठंडा पानी पिलाना भी हो सकता है या किसी गरीब की बेटी के विवाह में अपना योगान देना भी हो सकता है। कुल मिला के हम यह कह सकते हैं की किसी की मदद करना और उस मदद के एवज़ में किसी चीज की मांग न करने को परोपकार कहते हैं। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो दूसरों की मदद करते हैं और कहीं न कहीं भारत में ये बहुत ज्यादा है।
मनुष्य जीवन का सार्थक अर्थ
कहते हैं की मनुष्य जीवन हमे इस लिये मिलता है ताकि हम दूसरों की मदद कर सकें। हमारा जन्म सार्थक तभी कहलाता है जब हम अपने बुद्धि, विवेक, कमाई या बल की सहायता से दूसरों की मदद करें। जरुरी नहीं की जिसके पास पैसे हो या जो अमीर हो वही केवल दान दे सकता है। एक साधारण व्यक्ति भी किसी की मदद अपने बुद्धि के बल पर कर सकता है। सब समय-समय की बात है, की कब किसकी जरुरत पड़ जाये। अर्थात जब कोई जरुरत मंद हमारे सामने हो तो हमसे जो भी बन पाए हम उसके लिये करें। यह एक जरूरतमंद जानवर भी हो सकता है और मनुष्य भी।
निष्कर्ष
कहते हैं की मनुष्य जीवन तभी सार्थक होता है जब हमारे अंदर परोपकार की भावना होती है। हमें बच्चों को शुरू से यह सिखाना चाहिए और जब वे आपको इसका पालन करता देखेंगे वे खुद भी इसका पालन करेंगे। परोपकारी बनें और दुसरो को भी प्रेरित करें।
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