anuched 80 to 100 on bhor ka saundarya
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भोर का तारा एकांकी bhor ka tara ekanki in hindi bhor ka tara ekanki summary bhor ka tara kahani bhor ka tara jagdish chandra mathur stories bhor ka tara ke lekhak भोर का तारा एकांकी का कथानक भोर का तारा एकांकी का सारांश भोर का तारा एकांकी का उद्देश्य भोर का तारा एकांकी भोर का तारा एकांकी की समीक्षा भोर का तारा एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए जगदीश चंद्र माथुर की एकांकी भोर का तारा के लेखक - भोर का तारा श्री जगदीशचंद्र माथुर का एक भावना प्रधान राष्ट्रीय एकांकी है जिसका निर्माण ऐतिहासिक वातावरण के फलक पर किया गया है .कवि की कविता में राष्ट्रीय जीवन की आत्मा झलकती है ,उसमें राष्ट्रीयता का स्वर गूंजता है .शान्ति के समय प्रेम और श्रृंगार के गीत गाने वाला कवि राष्ट्रीय संकट के क्षणों में भैरव राग गाने लगता है .यदि वह ऐसा नहीं कर पाता है तो उसका काव्य राष्ट्रीय जीवन का काव्य नहीं हो सकता है .यही सत्य इस एकांकी में अत्यंत नाटकीय सुकुमारता और ऐतिहासिक भाव भूमि की चारुता के साथ प्रस्तुत किया गया है .