anuched bharatiya sanskriti
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भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है।भारतीय संस्कृति विश्व के इतिहास में कई दृष्टियों से विशेष महत्त्व रखती है।
यह संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है। मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से यह मिस्र, मेसोपोटेमिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं के समकालीन समझी जाने लगी है।
प्राचीनता के साथ इसकी दूसरी विशेषता अमरता है। चीनी संस्कृति के अतिरिक्त पुरानी दुनिया की अन्य सभी - मेसोपोटेमिया की सुमेरियन, असीरियन, बेबीलोनियन और खाल्दी प्रभृति तथा मिस्र ईरान, यूनान और रोम की-संस्कृतियाँ काल के कराल गाल में समा चुकी हैं, कुछ ध्वंसावशेष ही उनकी गौरव-गाथा गाने के लिए बचे हैं; किन्तु भारतीय संस्कृति कई हज़ार वर्ष तक काल के क्रूर थपेड़ों को खाती हुई आज तक जीवित है।
उसकी तीसरी विशेषता उसका जगद्गुरु होना है। उसे इस बात का श्रेय प्राप्त है कि उसने न केवल महाद्वीप-सरीखे भारतवर्ष को सभ्यता का पाठ पढ़ाया, अपितु भारत के बाहर बड़े हिस्से की जंगली जातियों को सभ्य बनाया, साइबेरिया के सिंहल (श्रीलंका) तक और मैडीगास्कर टापू, ईरान तथा अफगानिस्तान से प्रशांत महासागर के बोर्नियो, बाली के द्वीपों तक के विशाल भू-खण्डों पर अपनी अमिट प्रभाव छोड़ा।
सर्वांगीणता, विशालता, उदारता, प्रेम और सहिष्णुता की दृष्टि से अन्य संस्कृतियों की अपेक्षा अग्रणी स्थान रखती है।
भारतीय साहित्य की सबसे पुरानी या प्रारंभिक कृतियाँ मौखिक (orally) रूप से प्रेषित थीं।संस्कृत साहित्य की शुरुआत होती है 5500 से 5200 ईसा पूर्व के बीच संकलित ऋग्वेद से जो की पवित्र भजनों का एक संकलन है। संस्कृत के महाकाव्य रामायण और महाभारत पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत में आये.पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व की पहली कुछ सदियों के दौरान शास्त्रीय संस्कृत (Classical Sanskrit) खूब फली-फूली, तमिल (Tamil) संगम साहित्य और पाली केनोन (Pāli Canon) ने भी इस समय काफी प्रगति की.
मध्ययुगीन काल में, क्रमशः ९ वीं और ११ वीं शताब्दी में कन्नड़ और तेलुगु (Telugu) साहित्य की शुरुआत हुई,[22] इसके बाद १२ वीं शताब्दी में मलयालम साहित्य की पहली रचना हुई.बाद में, मराठी, बंगाली, हिंदी की विभिन्न बोलियों, पारसी और उर्दू के साहित्य भी उजागर होने शुरू हो गए ।
ब्रिटिश राज के दौरान, रवीन्द्रनाथ टैगोर के कार्यों द्वारा आधुनिक साहित्य का प्रतिनिधित्व किया गया है, रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh 'Dinkar'), सुब्रमनिया भारती, राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan), कुवेम्पु, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, माइकल मधुसूदन दत्त, मुंशी प्रेमचन्द, मुहम्मद इकबाल, देवकी नंदन खत्री प्रसीद्ध हो गए हैं। समकालीन भारत में, जिन लेखकों को आलोचकों के बीच प्रशंसा मिली वो हैं : गिरीश कर्नाड, अज्ञेय, निर्मल वर्मा, कमलेश्वर, वैकोम मुहम्मद बशीर, इंदिरा गोस्वामी , महाश्वेता देवी, अमृता प्रीतम, मास्ति वेंकटेश अयेंगर, कुरतुलियन हैदर और थाकाजी सिवासंकरा पिल्लईऔर कुछ अन्य लेखकों ने आलोचकों की प्रशंसा प्राप्त की समकालीन भारतीय साहित्य में, दो प्रमुख साहित्यिक पुरस्कार हैं, ये हैं साहित्य अकादमी फैलोशिप और ज्ञानपीठ पुरस्कारहिंदी और कन्नड़ में सात, मलयालम और मराठी में चार उर्दू में तीन ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए गए हैं।[23]