Hindi, asked by mohammed8, 1 year ago

anuched in hindi agar mein raja hota

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Answered by Chirpy
67

       अगर मैं राजा होता तो मैं समाज की समस्याओं को दूर करने का प्रयत्न करता। मैं अपने राज्य में ऐसी संस्थायें स्थापित करता जहाँ लोग समाज के कल्याण के लिए काम करते। सबसे पहले मैं बच्चों के लिए सुविधायें उपलब्ध करवाता। सब बच्चों को पढ़ने का अवसर प्रदान करता। विद्यालयों में बच्चों के दोपहर के खाने का प्रबंध करवाता।

      महिलाओं के लिए उचित सेवायें उपलब्ध करवाता। ऐसी नीति बनवाता जिससे प्रत्येक घर में नारी को उचित स्थान मिलता। समाज में महिलाओं और पुरुषों को बराबर स्थान मिले और किसी का शोषण न हो, इसके लिए कार्य करता।

      समाज में भेद भाव, ऊँच नीच की भावनाओं को कम करने के लिए प्रयत्न करता। सबके लिए रोज़गार उपलब्ध करवाता। मेरे मंत्री किसी भेद भाव के बिना सब लोगों के लिए काम करते और सबके जीवन को सुखी बनाने का प्रयास करते।

      मैं नियमों का पालन करता एक संतुलित जीवन व्यतीत करता। समय की पाबन्दी, ईमानदारी, जैसे मूल्यों का पालन करता है। मैं सुख दुःख में समान रहता। अपनी प्रशंसा सुनकर अत्यधिक उत्साहित या अप्रशंसा सुनकर निराश न होता। मैं परिस्थितियों से विचलित नहीं होता। दुःख के समय में भी प्रयत्न करता रहता है और अपने राज्य को एक महान राज्य बनाता।





Answered by amreshkumar1080
6

Answer:

   अगर मैं राजा होता तो मैं समाज की समस्याओं को दूर करने का प्रयत्न करता। मैं अपने राज्य में ऐसी संस्थायें स्थापित करता जहाँ लोग समाज के कल्याण के लिए काम करते। सबसे पहले मैं बच्चों के लिए सुविधायें उपलब्ध करवाता। सब बच्चों को पढ़ने का अवसर प्रदान करता। विद्यालयों में बच्चों के दोपहर के खाने का प्रबंध करवाता।

     महिलाओं के लिए उचित सेवायें उपलब्ध करवाता। ऐसी नीति बनवाता जिससे प्रत्येक घर में नारी को उचित स्थान मिलता। समाज में महिलाओं और पुरुषों को बराबर स्थान मिले और किसी का शोषण न हो, इसके लिए कार्य करता।

     समाज में भेद भाव, ऊँच नीच की भावनाओं को कम करने के लिए प्रयत्न करता। सबके लिए रोज़गार उपलब्ध करवाता। मेरे मंत्री किसी भेद भाव के बिना सब लोगों के लिए काम करते और सबके जीवन को सुखी बनाने का प्रयास करते।

     मैं नियमों का पालन करता एक संतुलित जीवन व्यतीत करता। समय की पाबन्दी, ईमानदारी, जैसे मूल्यों का पालन करता है। मैं सुख दुःख में समान रहता। अपनी प्रशंसा सुनकर अत्यधिक उत्साहित या अप्रशंसा सुनकर निराश न होता। मैं परिस्थितियों से विचलित नहीं होता। दुःख के समय में भी प्रयत्न करता रहता है और अपने राज्य को एक महान राज्य बनाता।

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