Hindi, asked by RobinRodrigues4560, 9 months ago

Anuched lekan on kamkaji nari

Answers

Answered by rishi102684
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Explanation:

आज विश्व में नारी मुक्ति आंदोलन का प्रभाव क्षेत्र व्यापक हो गया है । आर्थिक दृष्टि से भी आज महिलाओं में आत्मनिर्भरता की भावना का संचार हो गया है ।

लेकिन भारत में स्त्रियों के भाग्य का निर्णय अभी भी उनके पति या परिवार के हाथों में होता है । वह अपने विवाह, परिवार, यौन-संबंध तथा अन्य बातों के संबंध में मुक्त नहीं है । यदि वह मुक्त होने की कोशिश भी करती है, तो उसे समाज बदचलन या वेश्या का नाम देता है ।

कामकाजी महिलाओं की समस्या पर चर्चा करते समय उनकी घरेलू जिन्दगी भी इसके अंदर समाहित हो जाती है । आधुनिक कामकाजी महिला की छवि कैसी है? भारतीय कामकाजी महिला का संबंध समाज के मध्यम वर्ग या निम्न मध्य वर्ग से होता है । उच्च-वर्ग की स्त्रियाँ जीवन निर्वाह के लिए कार्य नहीं करती । कार्य करने के पीछे उनका उद्देश्य समय बिताना होता है ।

जबकि घरेलू कार्यो में भी उनकी कोई भूमिका नहीं होती, घर के काम-काज उनके लिए अज्ञात होते हैं । एक मध्य अथवा निम्न मध्य वर्ग की कामकाजी महिला का नसीब ऐसा नहीं होता हैं । नि:संदेह उसकी स्थिति दो नावों में सवार व्यक्ति के समान होती है क्योंकि एक ओर उसे कार्यालय में तनाव के नीचे कार्य करना होता है, स्त्री होने के कारण अधिकारी वर्ग उसे दबाने की कोशिश में लगा रहता है ।

चाहे वह कितनी भी कठोर उद्यमी क्यों न हो, सभी उसकी गलती निकालने और डाँटने में अपना पुरुषत्व सार्थक समझते हैं। बेचारी स्त्री जीविका से हाथ धो बैठने और अन्य कर्मचारियों, परिवार और समाज के सामने प्रतिष्ठा की हानि के डर से आवाज नहीं उठाती है । उसका जीवन तलवार की धार पर चलने के समान होता है ।

इसके अतिरिक्त उसे घरेलू दायित्वों को भी निभाना होता है । कार्यालय में इतना समय व्यतीत करने के कारण उसकी घरेलू जिन्दगी में भी अस्त-व्यस्तता आ जाती है । वह अपने घर के कामों को ठीक ढंग से करने में सक्षम नहीं हो पाती है । उसे खाना बनाने, बच्चों को विद्यालय के लिए तैयार करने, पति के लिए टिफिन तैयार करने और सफाई आदि करने के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ता है । इन सब कामों को निपटा कर वह कार्यालय जाने के लिए तैयार होती है ।

पश्चिमी देशों की तरह भारत में घरेलू कामों के पति पत्नी का हाथ नही बँटाते है। कार्यालय से थकी-मांदी घर लौटने पर उसे बच्चों, पति की आवश्यकताओं को देखना पड़ता है । खाना बनाना, मेहमानों की तीमारदारी और उस पर भी सदैव खुश दिखाई देना ही भारतीय कामकाजी महिला की नियति है ।

Answered by sourasghotekar123
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Answer:

Explanation:

महिला सामाजिक संरचना का एक महत्वपूर्ण अंग है। जबकि समाज में हमेशा पुरुष ही संचलन में रहते हैं। भारत में स्त्रियों के भाग्य का निर्णय अभी भी उनके पति या परिवार के हाथों में मुक्त नहीं है। यदि वह मुक्त होने की कोशिश भी करती है तो उसे समझ वाले प्रचलन या बेहया का नाम देते हैं। कामकाजी स्त्रियों समस्या पर चर्चा करते समय उनकी घरेलू जिंदगी की भी इसके अंदर समाहित हो जाती है। महात्मागांधी के द्वारा कहा गया है, यदि एक पुरुष शिक्षित होता है तो वे स्वयं तक सीमित रहता है, परंतु यदि एक नारे शिक्षक होती है तो वह पूरे परिवार को शिक्षित करती है। आज नारी पढ़ी लिखी हैं और नौकरी करके आर्थिक रूप से घाय की समृद्धि में भी सहायता करती है।

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