anuched lekhan on mere desh ki dharti in hindi
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आज हम अपने चारों ओर जो कुछ देखते है जल, वायु, पेड़, पौधे जीवन आदि कुछ देखते है यह सब हमारी प्रकृति की देन हैं. भारतीय संस्कृति में धरती को माँ की उपाधि दी गयी हैं. हिन्दू धर्म में इनकी पूजा भी की जाती हैं. दूसरी तरफ हम धरती माता को गंदा करते जा रहे हैं उसकी अनूठी देन का हम विदोहन अनियंत्रित रूप से कर रहे हैं. यह मानव अस्तित्व के लिए बेहद खतरनाक भी हैं.
आज प्रत्येक माँ भारती के पुत्र को अपनी निद्रा भंग करनी होगी तभी धरती को हम बचा सकेगे. हमारे जीवन का अस्तित्व धरती से जुड़ा हैं, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं. सभी ग्रहों में एकमात्र यही धरती माँ है जिस पर जीवन की सम्भावनाएं बन पाई हैं.
धरती की अपनी प्रत्येक वस्तु अनूठी है जो हमें सौन्दर्य के रूप में नजर आती हैं. सूर्य की लालिमा, पर्वत, सागर, झील झरने, नदियाँ, सागर, हरियाली. क्या नहीं दिया हमें इस धरती ने जिसकी हम कल्पना कर सकते हैं. इतने उपकारों के उपरांत भी बदले में हम प्रदूषण, गंदगी और सौन्दर्य को खत्म कर रहे हैं. पेड़ पौधों को काटकर हम जंगलों का विनाश कर इस हरी भरी धरती को मरुस्थल बनाने की जिद्द पाल बैठे हैं. हम जितना धरती के साथ ये खिलवाड़ कर रहे है इसके उतने ही बुरे नतीजे एक दिन भुगतने पड़ेगे.
धरती माता की उपजाऊ सतह हमारे लिए अन्न, सब्जियां, फल पैदा करती हैं. हमारे बीमार होने पर इसी धरा पर औषधि और जडीबुटी मिलती हैं. पीने योग्य जल के अथाह स्रोत देती हैं. श्वास लेने के लिए ताज़ी हवा और मन को शान्ति देने वाले मनोहारी द्रश्य हमारी धरती माँ के उपकार हैं.
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