Anuched likhiye (easy)
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जब यह परीक्षाएं आती है तो हम बच्चों का सबकुछ छिनकर ले जाती है। हमारा सुख, हमारा चैन, हमारी मस्ती सब कुछ बंद हो जाता है। पता नहीं कैसी बला है यह जो हमसे हमको ही चुरा लेती है।
हम टीवी देखते हैं तो मां कहती हैं केबल कटवा दूंगी। गेम खेलते हैं तो कहती हैं हाथ तोड़ दूंगी। हम बच्चे हैं और एक परीक्षा की वजह से हम पर यह अत्याचार क्यों हमारा कसूर सिर्फ इतना है कि हम परीक्षा के लिए २४ घंटे पढ़ नहीं रहे हैं।
हाय! यह परीक्षा तो हमारे पीछे साये की तरह रहती । इनसे छुटकारा पाने का एक ही उपाय है आरंभ से मन लगाकर पढ़ना। तभी आराम है।
sreedishita:
Thanks
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