anuched likhiye
not nibandh
250-300 words
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संविधान की धारा 53(1) में यह व्यवस्था की गई है कि संघ की कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति के हाथ में रहेगी तथा वह इन शक्तियों का प्रयोग संविधान के अनुसार स्वयं अथवा अपने अधीन पदाधिकारियों द्वारा करेगा । इस प्रकार स्पष्ट है कि राष्ट्रपति कार्यपालिका के औपचारिक प्रधान के रूप में है ।
संविधान की धारा 74 (1) में कहा गया है कि राष्ट्रपति को परामर्श देने के लिए एक मंत्रिमंडल की व्यवस्था की गई है जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा । इसका कार्य देश का शासन चलाने के लिए राष्ट्रपति को सहायता तथा परामर्श देना होगा ।
इस प्रकार संघीय कार्यपालिका की शक्तियाँ राष्ट्रपति पद में निहित होती है जिनका प्रयोग मंत्रिमंडल द्वारा किया जाता है । भारत के राष्ट्रपति की स्थिति इंग्लैंड की सम्राज्ञी के समान है जो संघ का मुखिया तो है पर मंत्रिमंडल के परामर्श के बिना कुछ कार्य नहीं कर सकता ।
फिर भी राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रथम व्यक्ति है । उसका पद गौरव, गरिमा और प्रतिष्ठा का है । उसका पद शासन की धुरी के रूप में कार्य करता है जो शासन व्यवस्था में संतुलन बनाये रखता है ।
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किसी विषय पर थोड़े, किन्तु चुने हुए शब्दों में अपने विचार प्रकट करने के प्रयास को अनुछेद लेखन कहा जाता है। यह किसी लेख, निबंध या रचना का अंश भी हो सकता है किन्तु स्वयं में पूर्ण होना चाहिए। डॉ॰ किरण नन्दा[कौन?] के शब्दों में अनुच्छेद को यों परिभाषित किया जा सकता है-
किसी भी शब्द, वाक्य, सूत्र से सम्बद्ध विचार एवं भावों को अपने अर्जित ज्ञान, निजी अनुभूति से संजोकर प्रवाहमयी शैली के माध्यम से गद्यभाषा में अभिव्यक्त करना अनुच्छेद कहलाता है।
उक्त परिभाषा के आधार पर स्पष्ट है कि अनुच्छेद लेखन का कोई भी विषय हो सकता है, वह शब्द, वाक्य, सूत्र रूप में भी हो सकता है। उसका विस्तार स्वतंत्र रूप में प्रवाहमयी शैली में होना चाहिए तथा गद्य भाषा में अभिव्यक्त होना चाहिए। जब हम किसी विषय, विचार या शीर्षक को विस्तारपूर्वक लिखें कि एक अनुच्छेद तैयार हो जाए तो इसे 'अनुच्छेद लेखन' कहा जाता है।
'अनुच्छेद-लेखन' और 'निबंध-लेखन' तथा 'पल्लवन लेखन' में अन्तर है। इनके पारस्परिक अंतर को समझ लेना आवश्यक है।