anuched Mera Priya Kavi
Answers
here is your answer !!
सच्चे कवि राज्य के संरक्षक होता हैं । वे मानव जाति के प्रथम शिक्षक हैं । यह कथन पूरी तरह राष्ट्र कवि रामधारी सिंह ‘ दिनकर ’ पर खरा उतरता है । आदिकाल से लेकर आज तक हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में अनेक कवि हुए हैं । कोई किसी से कम नहीं । सूरदास यदि सूर्य समान है तो गोस्वामी तुलसीदास चन्द्र समान है ।
किसी ने कबीर की प्रशंसा की है तो किसी ने जायसी की । पर जहाँ तक मेरा व्यक्तिगत प्रश्न है, मेरे लिए राष्ट्रवादी कविवर रामधारी सिंह ‘ दिनकर ’ से बढ़कर अन्य किसी कवि का कोई विशेष महत्त्व नहीं है । इसका एकमात्र कारण मेरी दृष्टि में यह कहकर अवरेखित किया जा सकता है कि राष्ट्रीय यौवन और पुरुषार्थ का गायन करने वाला उन जैसा दूसरा कोई कवि न तो आज तक कोई हुआ है और न ही निकट भविष्य में होने की कोई सम्भावना ही है ।
hope it helps : )
अनुच्छेद :
" मेरा प्रिय कवि : कबीरदास "
___________________________
मेरा प्रिय कवि , भक्तिकाल के निर्गुण
काव्यधारा के प्रवर्तक , एक महान संत , उच्च
कोटि के कवि और सबसे महत्वपूर्ण ' एक
समाज सुधारक ' , ' कबीरदास ' जी है ।
उनकी खास बात मुझे यह लगता है कि ,
उनका भाषा पर अत्यंत खूबसूरत अधिकार
था। दूसरे शब्दों में कहें तो , जबरदस्त
अधिकार था । उनकी भाषा ऐसे थी , मानो
इतना करारा पर सुनने वालों के लिए अत्यंत
मन लुभावन । उनके काव्य में व्यंग प्रचुर मात्रा
में विराजमान है । उनके काव्य लोग आज भी
पढ़ते है और गाते है । उन्होंने अपने काव्य के
माध्यम से समाज को सुधारने में , अपना
योगदान दिया है । उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध
कर , प्रेम के महत्व पर बात किया है । उन्होंने
ज्ञान को महत्व दिया है , उन्होंने गुरु को
भगवान से अधिक महत्व दिया है । उनका हर
पद अत्यंत सुंदर है , परन्तु उनका एक पद मुझे
बहुत पसंद है वह है :
" पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न
कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।"