Hindi, asked by satakshi357, 1 year ago

Anuched on beti bacho beti padho

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Answered by Anonymous
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पूरे भारत में लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हें बचाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाम से लड़कियों के लिये एक योजना की शुरुआत की। इसका आरंभ हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015, गुरुवार को हुआ। पूरे देश में हरियाणा में लिंगानुपात 775 लड़कियाँ पर 1000 लड़कों का है जो बेटीयों की दयनीय स्थिति को दर्शाता है इसी वजह से इसकी शुरुआत हरियाणा राज्य से हुई। लड़कियों की दशा को सुधारने के लिये पूरे देश के 100 जिलों में इसे प्रभावशाली तरीके से लागू किया गया है, सबसे कम स्त्री-पुरुष अनुपात होने की वजह से हरियाणा के 12 जिलों (अंबाला, कुरुक्षेत्र, रिवारी, भिवानी, महेन्द्रगण, सोनीपत, झज्जर, रोहतक, करनाल, यमुना नगर, पानीपत और कैथाल) को चुना गया।

लड़कियों की दशा को सुधारने और उन्हें महत्व देने के लिये हरियाणा सरकार 14 जनवरी को ‘बेटी की लोहड़ी’ नाम से एक कार्यक्रम मनाती है। इस योजना का उद्देश्य लड़कियों को सामाजिक और आर्थिक रुप से स्वतंत्र बनाना है जिससे वो अपने उचित अधिकार और उच्च शिक्षा का प्रयोग कर सकें। आम जन में जागरुकता फैलाने में ये मदद करता है साथ ही महिलाओं को दिये जाने वाले लोक कल्याणकारी सेवाएँ की कार्यकुशलता को भी बढ़ाएगा। अगर हम 2011 के सेंसस रिपोर्ट पर नजर डाले तो हम पाएँगे कि पिछले कुछ दशकों से 0 से 6 वर्ष के लड़कियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। 2001 में ये 927/1000 था जबकि 2011 में ये और गिर कर 919/1000 पर आ गया। अस्पतालों में आधुनिक लक्षण यंत्रों के द्वारा लिंग पता करने के बाद गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या करने की वजह से लड़कियों की संख्या में भारी कमी आयी है। समाज में लैंगिक भेदभाव की वजह से ये बुरी प्रथा अस्तित्व में आ गयी।

जन्म के बाद भी लड़कियों को कई तरह के भेदभाव से गुजरना पड़ता है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, खान-पान, अधिकार आदि दूसरी जरुरतें है जो लड़कियों को भी प्राप्त होनी चाहिये। हम कह सकते हैँ कि महिलाओं को सशक्त करने के बजाय अशक्त किया जा रहा है। महिलाओं को सशक्त बनाने और जन्म से ही अधिकार देने के लिये सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। महिलाओं के सशक्तिकरण से सभी जगह प्रगति होगी खासतौर से परिवार और समाज में। लड़कियों के लिये मानव की नकारात्मक पूर्वाग्रह को सकारात्मक बदलाव में परिवर्तित करने के लिये ये योजना एक रास्ता है। ये संभव है कि इस योजना से लड़कों और लड़कियों के प्रति भेदभाव खत्म हो जाये तथा कन्या भ्रूण हत्या का अन्त करने में ये मुख्य कड़ी साबित हो। इस योजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने चिकित्सक बिरादरी को ये याद दिलाया कि चिकित्सा पेशा लोगों को जीवन देने के लिये बना है ना कि उन्हें खत्म करने के लिये।
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