Hindi, asked by chanchalbhardwaj90, 1 year ago

anuched on bhrashtachar Ek Vikat samasya

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Answered by rajesh205
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प्रस्तावना:

किसी अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति का काम पूरन लेकर गैर-कानूनी ढंग से करना भ्रष्टाचार कहलाता है । इसमे अधिकारी अपने कर्त्तव्य से विमुख होकर दूसरे का काम करता है और इसके लिए मुआवजा लेता है । व्यापक अर्थों में कर्त्तव्यो की अवहेलना भ्रष्टाचार के अन्तर्गत आती है ।

भ्रष्टाचार की सर्वव्यापकता:

भ्रष्टाचार न भारत के लिए नया है और न ही इसे आधुनिक युग की देन कहा जा सकता है । केवल मात्रा में अन्तर के आधार पर ही हम इसकी बात कर सकते हैं । प्राचीन काल में राजा-महाराजाओं की कृपा से ही काम होते थे । उस समय चापलूसी के रूप मे भ्रष्टाचार विद्यमान था । चाणक्य ने अपने ग्रन्थ अर्थशास्त्र में दो हजार वर्ष से पूर्व भारत में भ्रष्टाचार के विरुद्ध कडी सजा की व्यवस्था की थी ।

राजा ने एक बार चाणक्य से पूछा कि क्या उसे पूरा यकीन है कि उसके अधिकारी और कर्मचारी जनता से जितना धन कर के रूप में वसूलते हैं वह समूचा सरकारी खजाने में जमा हो जाता है । चाणक्य ने बड़े गंभीर रचर मे उत्तर दिया, ”राजा रानी मक्खी के आदेश पर श्रमिक मक्खियाँ फूलों से मधु एकत्र करके उसके छत्ते में जमा करती हैं ।

ऐसा करते समय रास्ते मे वे कितना मधु स्वयं खा लेती हैं, कोन बता सकता है । इसका ‘स्पष्ट अर्थ है कि उस प्राचीन काल मे भी कुछ-न-कुछ भ्रष्टाचार अवश्य था तभी कडी सजा की खावस्था और इस प्रकार के श्प्क को गुंजाइश थै ।



जब किसी त्याको के पास दूसरों की आवश्यकता को पूरा करने को शकिा होती है, तो लाभ पहुँचाने के बदले वह कुछ-न-कुछ धान प्राप्त करता ही है । जब तक इसे समाज और देश के कानून से मान्यता प्राप्त रहती है, यह उचित है । इसके बाहर यह भ्रष्टाचार कहलाता है । महान् राष्ट्र और बड़ी-बड़ी अनार्राष्ट्रीय कम्पनियों और एरनेन्निनयी तक अपने लाभ के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेती हैं ।

भारत में स्थिति:

भारत में आजकल भ्रष्टाचार का सर्वत्र बोलबाला दिखाई देता है । राष्ट्रीय गतिविधियो का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा छूटा हो, जहाँ भ्रष्टाचार न हो बिना पूरन दिए हम शायद ही कोई काम किसी दफ्तर से करा सके । न्यायोचित कामो को भी शीघ्र कराने के लिए हमे मुट्‌ठी गर्म करनी पडती है ।

किसी बडे अधिकारी से चपरासी के हाथ में कुछ थमाये बिना हम शायद ही भेंट कर सके । ऐसा लगता है कि घूस के बिना कुछ भी करा पाना सभव नहीं है । कोई ईमानदार व्यक्ति आज भारत में खुली हवा में सास तक नहीं ले सकता 
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