Anuched on brashtachar in Hindi #cancopyfrmnet
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✴✴✴✴✴भ्रष्टाचार✴✴✴✴✴
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भ्रष्टाचार एक जहर है जो देश, संप्रदाय, और समाज के गलत लोगों के दिमाग में फैला होता है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिये सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी की जाती है। इसका संबंध किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गैरजरुरी और गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ रहा है और यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का बड़ा कारण है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में बाधा भी है।
भ्रष्टाचार से व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति, शक्ति और सत्ता का गलत इस्तेमाल अपनी आत्म संतुष्टि और निजी स्वार्थ की प्राप्ति के लिये करता है। इसमें सरकारी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर फायदा पाने की कोशिश होती है। भ्रष्टाचार की जड़े समाज में गहराई से व्याप्त हो चुकी है और लगातार फैल रही है। ये कैंसर जैसी बीमारी की तरह है जो बिना इलाज के खत्म नहीं होगी। इसका एक सामान्य रुप पैसा और उपहार लेकर काम करना दिखाई देता है। कुछ लोग अपने फायदे के लिये दूसरों के पैसों का गलत इस्तेमाल करते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त होते है और साथ ही अपनी छोटी सी की पूर्ति के लिये किसी भी हद तक जा सकते है।
✴✴✴✴✴भ्रष्टाचार✴✴✴✴✴
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भ्रष्टाचार एक जहर है जो देश, संप्रदाय, और समाज के गलत लोगों के दिमाग में फैला होता है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिये सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी की जाती है। इसका संबंध किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गैरजरुरी और गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ रहा है और यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का बड़ा कारण है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में बाधा भी है।
भ्रष्टाचार से व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति, शक्ति और सत्ता का गलत इस्तेमाल अपनी आत्म संतुष्टि और निजी स्वार्थ की प्राप्ति के लिये करता है। इसमें सरकारी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर फायदा पाने की कोशिश होती है। भ्रष्टाचार की जड़े समाज में गहराई से व्याप्त हो चुकी है और लगातार फैल रही है। ये कैंसर जैसी बीमारी की तरह है जो बिना इलाज के खत्म नहीं होगी। इसका एक सामान्य रुप पैसा और उपहार लेकर काम करना दिखाई देता है। कुछ लोग अपने फायदे के लिये दूसरों के पैसों का गलत इस्तेमाल करते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त होते है और साथ ही अपनी छोटी सी की पूर्ति के लिये किसी भी हद तक जा सकते है।
Nandini2885:
can u dekete my question
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⛦Hᴇʀᴇ Is Yoᴜʀ Aɴsᴡᴇʀ⚑
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❖ भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़े तेजी से फैल रही है। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। भ्रष्टाचार का प्रभाव अत्यंत व्यापक है।
❖ भ्रष्टाचार के कई कारण है। जैसे :-
(1) असंतोष :- जब किसी को अभाव के कारण कष्ट होता है तो वह भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है।
(2) स्वार्थ और असमानता:- असमानता, आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद -प्रतिष्ठा के कारण भी व्यक्ति अपने आपको भ्रष्ट बना लेता है। हीनता और ईर्ष्या की भावना से शिकार हुआ व्यक्ति भ्रष्टाचार को अपनाने के लिए विवश हो जाता है। साथ ही रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद आदि भी भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं।
❖ भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़े तेजी से फैल रही है। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। भ्रष्टाचार का प्रभाव अत्यंत व्यापक है।
❖ जीवन का कोई भी क्षेत्र इसके प्रभाव से मुक्त नहीं है। यदि हम इस वर्ष की ही बात करें तो ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जो कि भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं। जैसे आईपील में खिलाड़ियों की स्पॉट फिक्सिंग, नौकरियों में अच्छी पोस्ट पाने की लालसा में कई लोग रिश्वत देने से भी नहीं चूकते हैं। आज भारत का हर तबका इस बीमारी से ग्रस्त है।
❖ यह एक संक्रामक रोग की तरह है। समाज में विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। आज भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि व्यक्ति रिश्वत के मामले में पकड़ा जाता है और रिश्वत देकर ही छूट जाता है।
❖ जब तक इस अपराध के लिए को कड़ा दंड नही दिया जाएगा तब तक यह बीमारी दीमक की तरह पूरे देश को खा जाएगी। लोगों को स्वयं में ईमानदारी विकसित करना होगी। आने वाली पीढ़ी तक सुआचरण के फायदे पहुंचाने होंगे।
❖ उपसंहार : भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर राष्ट्र का नाम बदनाम कर रहे हैं।
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धन्यवाद...✊
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❖ भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़े तेजी से फैल रही है। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। भ्रष्टाचार का प्रभाव अत्यंत व्यापक है।
❖ भ्रष्टाचार के कई कारण है। जैसे :-
(1) असंतोष :- जब किसी को अभाव के कारण कष्ट होता है तो वह भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है।
(2) स्वार्थ और असमानता:- असमानता, आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद -प्रतिष्ठा के कारण भी व्यक्ति अपने आपको भ्रष्ट बना लेता है। हीनता और ईर्ष्या की भावना से शिकार हुआ व्यक्ति भ्रष्टाचार को अपनाने के लिए विवश हो जाता है। साथ ही रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद आदि भी भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं।
❖ भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़े तेजी से फैल रही है। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। भ्रष्टाचार का प्रभाव अत्यंत व्यापक है।
❖ जीवन का कोई भी क्षेत्र इसके प्रभाव से मुक्त नहीं है। यदि हम इस वर्ष की ही बात करें तो ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जो कि भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं। जैसे आईपील में खिलाड़ियों की स्पॉट फिक्सिंग, नौकरियों में अच्छी पोस्ट पाने की लालसा में कई लोग रिश्वत देने से भी नहीं चूकते हैं। आज भारत का हर तबका इस बीमारी से ग्रस्त है।
❖ यह एक संक्रामक रोग की तरह है। समाज में विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। आज भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि व्यक्ति रिश्वत के मामले में पकड़ा जाता है और रिश्वत देकर ही छूट जाता है।
❖ जब तक इस अपराध के लिए को कड़ा दंड नही दिया जाएगा तब तक यह बीमारी दीमक की तरह पूरे देश को खा जाएगी। लोगों को स्वयं में ईमानदारी विकसित करना होगी। आने वाली पीढ़ी तक सुआचरण के फायदे पहुंचाने होंगे।
❖ उपसंहार : भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर राष्ट्र का नाम बदनाम कर रहे हैं।
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