anuched on hundred to 120 words topic Man ka hare har, man ka jeete jeet please help me now my dear friends who will give answer mark as brainlist
Answers
मनुष्य की समस्त जीवन प्रक्रिया का संचालन उसके मस्तिष्क द्वारा होता है । मन का सीधा संबंध मस्तिष्क से है । मन में हम जिस प्रकार के विचार धारण करते हैं हमारा शरीर उन्हीं विचारों के अनुरूप ढल जाता है । हमारा मन-मस्तिष्क यदि निराशा व अवसादों से घिरा हुआ है तब हमारा शरीर भी उसी के अनुरूप शिथिल पड़ जाता है। हमारी समस्त चैतन्यता विलीन हो जाती है ।
परंतु दूसरी ओर यदि हम आशावादी हैं और हमारे मन में कुछ पाने व जानने की तीव्र इच्छा हो तथा हम सदैव भविष्य की ओर देखते हैं तो हम इन सकारात्मक विचारों के अनुरूप प्रगति की ओर बढ़ते चले जाते हैं ।
हमारे चारों ओर अनेकों ऐसे उदाहरण देखने को मिल सकते हैं कि हमारे ही बीच कुछ व्यक्ति सदैव सफलता पाते हैं । वहीं दूसरी ओर कुछ व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में असफल होते चले जाते हैं । दोनों प्रकार के व्यक्तियों के गुणों का यदि आकलन करें तो हम पाएँगे कि असफल व्यक्ति प्राय: निराशावादी तथा हीनभावना से ग्रसित होते हैं ।
ऐसे व्यक्ति संघर्ष से पूर्व ही हार स्वीकार कर लेते हैं । धीरे-धीरे उनमें यह प्रबल भावना बैठ जाती है कि वे कभी भी जीत नहीं सकते हैं । वहीं दूसरी ओर सफल व्यक्ति प्राय: आशावादी व कर्मवीर होते हैं । वे जीत के लिए सदैव प्रयास करते हैं ।
Answer:
मनुष्य का जीवन चक्र अनेक प्रकार की विविधताओं से भरा होता है जिसमें सुख- दु:खु, आशा-निराशा तथा जय-पराजय के अनेक रंग समाहित होते हैं । वास्तविक रूप में मनुष्य की हार और जीत उसके मनोयोग पर आधारित होती है । मन के योग से उसकी विजय अवश्यंभावी है परंतु मन के हारने पर निश्चय ही उसे पराजय का मुँह देखना पड़ता है ।
मनुष्य की समस्त जीवन प्रक्रिया का संचालन उसके मस्तिष्क द्वारा होता है । मन का सीधा संबंध मस्तिष्क से है । मन में हम जिस प्रकार के विचार धारण करते हैं हमारा शरीर उन्हीं विचारों के अनुरूप ढल जाता है । हमारा मन-मस्तिष्क यदि निराशा व अवसादों से घिरा हुआ है तब हमारा शरीर भी उसी के अनुरूप शिथिल पड़ जाता है। हमारी समस्त चैतन्यता विलीन हो जाती है ।
परंतु दूसरी ओर यदि हम आशावादी हैं और हमारे मन में कुछ पाने व जानने की तीव्र इच्छा हो तथा हम सदैव भविष्य की ओर देखते हैं तो हम इन सकारात्मक विचारों के अनुरूप प्रगति की ओर बढ़ते चले जाते हैं ।
हमारे चारों ओर अनेकों ऐसे उदाहरण देखने को मिल सकते हैं कि हमारे ही बीच कुछ व्यक्ति सदैव सफलता पाते हैं । वहीं दूसरी ओर कुछ व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में असफल होते चले जाते हैं । दोनों प्रकार के व्यक्तियों के गुणों का यदि आकलन करें तो हम पाएँगे कि असफल व्यक्ति प्राय: निराशावादी तथा हीनभावना से ग्रसित होते हैं ।
ऐसे व्यक्ति संघर्ष से पूर्व ही हार स्वीकार कर लेते हैं । धीरे-धीरे उनमें यह प्रबल भावना बैठ जाती है कि वे कभी भी जीत नहीं सकते हैं । वहीं दूसरी ओर सफल व्यक्ति प्राय: आशावादी व कर्मवीर होते हैं । वे जीत के लिए सदैव प्रयास करते हैं ।
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