Anuched on jab Maine pahili bar chai bnayi
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Anuched.....
मुझे आज भी याद है,तब मैं महज ६ साल का रहा होऊंगा,जब पहली बार मैंने चाय बनाई थी,बहुत खुश था,बिल्कुल ही नया अनुभव जो था।मुझे ठीक से याद नही चाय कैसी बनी थी,पर इतना जरुर याद है कि घर के सभी लोगों ने जमकर तारीफ़ की थी।सम्भव है कि चाय वास्तव में अच्छी बनी थी या फ़िर मेरा उत्साह बढ़ने के लिए ही वो सब था।जो भी हो,एक बात तो तय हो गई कि अगले दिन से जब भी मम्मी रसोईघर में होतीं मैं उनके पास रहने लगा था।मम्मी अक्सर मुझे दुलारते हुए किचन से जाने को कहती लेकिन मैं वहीँ चिपका रहता,और चाय बनाने के मौके तलाशता रहता।
उस दिन के बाद ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ कि मैं हर रोज चाय बनाता ही था,कभी कभार महीने दो महीने में मौका मिल जाता,या फ़िर जब घर में कोई नही होता,मैं शुरू हो जाता।कुछ बड़ा हुआ तो दीदी की सहायता से चोरी से आलू की भुजिया सब्जी और पराठे बना लिए थे,तब मैं ७ साल का था।हालाँकि बाद में मम्मी को हमारी करतूत की जानकारी हो गई क्योंकि बर्तन धुलना ही भूल गए थे।मम्मी बहुत परेशान थीं कि छोटा बच्चा कहीं ख़ुद को जला न बैठे.उन्होंने मुझे बड़े प्यार से समझाया कि जब भूख लगी थी तो बताना था न,उन्हें क्या पता था कि भूख पेट में नहीं बल्कि कहीं और ही लगी थी।
Hope it helps...
Answer:
यह मेरे उन दिनों की बात है जब मेरे घर में कोई न था । क्योंकि सब मेरे दीदी की शादी में गए हुए थे।और उस समय मेरी परिक्षा चल रही थी ।इस लिए मैं जा न सका। मेरे घर पे कोई न था, खान - पान की सारी व्यवस्था थी मेरे घर मैं इसलिए में निशिचत था । मेरे परिक्षा के कारण मुझे देर रात तक पढ़ना था। पढ़ते - पढ़ते मेरे सिर में अत्यधिक पीढ़ा होने लगी। जब भी मेरे सिर मे दर्दे होता था ,मेरी माँ मुझे हमेशा चाय पिलाती थी।तो मै स्वस्थ हो जाता था।परंतु मेरे सामने अब एक विक्ट समस्या आ गयी ।मुझे चाय पीनी थी और मुझे चाय बनाने नही आती थी, मेनै प्रयास करना चाहा इसलिए में रसोईघर घुस कर चाय बनाने का प्रयत्न किया ।मैंने चाय में ज्यादा मात्रा में जल डाली थी इसलिए वह चाय नही पानी लग रही थी, मैने चाय में बहुत ज्यादा चाय पत्ती डाल दी थी इसलिए उसका रंग अत्यधिक काला हो गयी था।दूघ मैने कम डाली थी,मुझे दूघ पसंद नही था।परंतु मैने चीनी के स्थान पर मैने गलती से नमक डाल दी । इसलिए चाय नमकीन हो गयी थी। चाय का रंग भी कुछ ठीक न था।
तब जाकर मुझे पता चला की चाय का चुस्की लेना नही ,बल्कि उसे बनना कठिन है।