India Languages, asked by Mazumder9748, 9 months ago

Anuched on man ke hare haar hai man ke jeete jeet

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Answered by Anonymous
3

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मन की गति प्रकाश की गति से भी अधिक तीब्र होती है । कहने का अभिप्राय यह है कि मन एक विषय से दूसरे विषय पर बहुत जल्दी बदल जाता है। लेकिन यह कोई समस्या नहीं है क्योंकि अस्थिरता तो मन का स्वभाव है जिसे आप रोक नहीं सकते । लेकिन आप अपने मन की करतूतों पर नजर जरुर रखें क्योंकि यही आप आपके कर्मो का रूप धरते है । मन ही वह सबसे बलवान तत्व है जिसे शरीर के सब अंगों हाथ पैर, नाक – कान आदि तथा जड़ चेतन सभी इन्द्रियों का राजा और प्रशासक स्वीकार किया गया है । हम या हमारी इन्द्रियाँ जो कुछ भी करती – कहती है, उन्हें करने – कहने का इरादा या विचार पहले मन ही में बनता है । उसके बाद, उसकी प्रेरणा से अन्य इन्द्रियां इच्छित कार्य की ओर सक्रिय हुआ करती है । अच्छा – बुरा जो कुछ भी होता है या किया जाता है वह सब मन की इच्छा और प्रेरणा से हो पाता है ।

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Answered by rishikeshgohil1569
2

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मन की गति प्रकाश की गति से भी अधिक तीब्र होती है । कहने का अभिप्राय यह है कि मन एक विषय से दूसरे विषय पर बहुत जल्दी बदल जाता है। लेकिन यह कोई समस्या नहीं है क्योंकि अस्थिरता तो मन का स्वभाव है जिसे आप रोक नहीं सकते । लेकिन आप अपने मन की करतूतों पर नजर जरुर रखें क्योंकि यही आप आपके कर्मो का रूप धरते है । मन ही वह सबसे बलवान तत्व है जिसे शरीर के सब अंगों हाथ पैर, नाक – कान आदि तथा जड़ चेतन सभी इन्द्रियों का राजा और प्रशासक स्वीकार किया गया है । हम या हमारी इन्द्रियाँ जो कुछ भी करती – कहती है, उन्हें करने – कहने का इरादा या विचार पहले मन ही में बनता है । उसके बाद, उसकी प्रेरणा से अन्य इन्द्रियां इच्छित कार्य की ओर सक्रिय हुआ करती है । अच्छा – बुरा जो कुछ भी होता है या किया जाता है वह सब मन की इच्छा और प्रेरणा से हो पाता है ।

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