Geography, asked by gurleen68, 11 months ago

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                                 मँहगाई

भूमिका- मूल्य वृद्धि या मंहगाई क्या है ? दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाते हैं और जन साधारण उन वस्तुओं को सुविधापूर्वक प्राप्त नहीं कर पाता, तो उस समय समाज में अशान्त फैलती है। स्पष्ट है कि दैनिक उपयोग की वस्तुओं के मूल्य बढ़ जाना ही मंहगाई कहलाती है। वर्तमान भारत में इस मंहगाई के कारण ही वर्ग भेद बढ़े हैं तथा निर्धन व्यक्ति, मजदूर वर्ग बढ़ती हुई मंहगाई के चक्र में पिसते गए हैं।

मंहगाई के कारण- वस्तु की मांग और उत्पादन का सीधा सम्बन्ध है। यदि वस्तु की मांग बढ़ती है तो उसका उत्पादन भी बढ़ता है। यदि वस्तु की मांग घटती है तो स्वाभाविक रूप से उसका उत्पादन भी घटेगा। जब उत्पादन की अपेक्षा मांग बढ़ती है तो वस्तुओं को अधिक ऊंचे भाव पर बेचा जाता है जिससे स्वाभाविक ही महंगाई बढ़ेगी। महंगाई का सबसे बड़ा कारण होता है, उपज में कमी। सूखा पड़ना, बाढ़ आना, चोर बाजारी, जमाखोरी और भ्रष्टाचार भी इसके कारण है। भारत वर्ष को चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से युद्धों का सामना करना पड़ा। 1971 में पाकिस्तान से युद्ध होने के बाद बंगला देश से करोड़ों शरणार्थी भारत आए और उन पर करोड़ों रुपया व्यय करना पड़ा।

दूसरा बड़ा कारण जमाखोरी है। उपज जब मण्डियों में आती है, अमीर व्यापारी भारी मात्रा में अनाज एवं वस्तुएं खरीद कर अपने गोदाम भर लेता है और इस प्रकार बाजार में वस्तुओं की कमी हो जाती है। व्यापारी अपने गोदामों की वस्तुएं तभी निकालता है जब उसे कई गुणा अधिक कीमत प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त मुद्रा-स्फीति के कारण भी चीजें महंगी होती जा रही हैं। राष्ट्र की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाना अनिवार्य है। इसके साथ ही कार के पास आवश्यक वस्तुओं के विशाल भण्डार होने चाहिए ताकि समय आने पर व्यापारी अनचाह रूप म कीमतें बढ़ाए तो सरकार आवश्यक अन्न, चीनी आदि का वितरण कर सके। वितरण प्रणाली में सुधार करना आवश्यक है।

सरकारी तंत्र में भी सुधार करना आवश्यक है। रिश्वतखोर सरकारी कर्मचारी जो व्यापारियों से ‘महीना’ लेकर उस पर बोझ डालती है। इस पद्धति से कठोरता से निपटना होगा। कर चोरी और कर वसली जैसी समस्याओं के लिए भी कठोर उपाय अपनाने होगें। उचित मूल्यों की दुकानें खोलना, राशिनिंग करना भी महंगाई को रोकने के लिए आवश्यक है। देश का कितना दुर्भाग्य है कि स्वतन्त्रता के लम्बे समय के बाद भी किसानों की सिंचाई की पर्ण सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

उपसंहार- किसी भी देश की प्रगति तभी हो सकती है। जब देश के नागरिकों के सामने सदैव रोटी, मकान या कपडे की समस्या न हो। जीवन की गाड़ी को चलाने के लिए जीवनोपयोगी वस्तुओं का सुलभ होना अनिवार्य है। यदि निम्न वर्ग के लोगों को उचित दाम पर आवश्यक वस्तुएं नहीं मिलेंगी तो असंतोष बढ़ेगा और हमारी स्वतन्त्रता के लिए पुन: खतरा पैदा हो जाएगा।

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