Anuched on pariksham hi safalta ki kunji hai with 10 muhavare
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Explanation:
भूमिका- श्रम का अर्थ है-मेहनत। श्रम ही मनुष्य-जीवन की गाड़ी को खींचता है।
जीवन की गाड़ी न चलती- परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी नहीं चल ही सकती।
आलस्य जीवन का अभिशाप– परिश्रम का अभिप्राय ऐसे परिश्रम से है जिससे निर्माण हो, रचना हो, जिस परिश्रम से निर्माण नहीं होता, उसका कुछ अर्थ नहीं।
कलाओं का निर्माण-यदि छात्र परिश्रम न करें तो परीक्षा में कैसे सफल हों।
भाग्यवाद- कुछ लोग श्रम की अपेक्षा भाग्य को महत्व देते हैं। उनका कहना है कि भाग्य में जो है वह अवश्व मिलेगा, अत: दौड़-धूप करना व्यर्थ है। यह तर्क निराधार है।
समस्याओं का समाधान– आज हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं। उन सबसे समाधान का साधन परिश्रम है परिश्रम के द्वारा ही बेकारी की, खाद्य की और अर्थ की समस्या का अंत किया जा सकता है।
उपसंहार– परिश्रमी व्यक्ति स्वावलंबी, ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान् और सेवा भाव से युक्त होता है। परिश्रम करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।