Hindi, asked by isha12447, 3 months ago

anuched on pradusad :manav pradathv abishap​

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Answered by sneha5936
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वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एक दानव की भांति है जो मुँह फाड़े वातावरण को निगलने के लिए तैयार खड़ा है। कल-कारखानों और मोटर वाहनों से निकलता जहरीला धुआं, वातावरण में इतना फैल चुका है कि सांस लेना तक दूभर हो गया है। महानगरों में जहाँ घनी आबादी होती है लेकिन पेड़-पौधों की संख्या कम होती है वहां तो यह एक विकराल रूप ले चुका है। हवा के साथ-साथ कारखानों से निकला दूषित रिसाव नदी-नालों में छोड़ने की वजह से जल भी दूषित हो गया है। कारखानों की खटपट, वाहनों के भोंपू तथा लाउडस्पीकरों की तीखी आवाजों ने मिल कर ध्वनि प्रदूषण इतना बढ़ा दिया है कि दिमाग में हर समय एक तनाव की स्थिति बानी रहती है।

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