Anuched on pratah kaal ki sair
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Pratahkal ki Sair
सुबह के समय जब सूर्य उग रहा होता है, समय स्वच्छ वायु में साँस लेने से शरीर को अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है, मन-मस्तिष्क शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है तथा आलस्य दूर भाग जाता है। प्रात:कालीन सैर से रक्त संचार बढ़ता है जिससे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
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सैर-सपाटा करके खुश होना मनुष्य का पैदायशी स्वभाव है। एक प्रकार का शौक भी है। इस स्वभाव और शौक को पूरा करने के लिए लोगों को महीनों अपने घरों से दूर, दुर्गम स्थानों पर भटके हुए देखा जा सकता है। सच तो यह है कि सैर-सपाटा जहाँ आनन्द प्रदान करता है, वहाँ ज्ञान भी बढ़ाता है। एक सीमा तक वह स्वास्थ्य रक्षक और वर्द्धक भी है। लेकिन हम यहाँ जिस ‘प्रातः काल की सैर’ के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं, उसका उद्देश्य मात्र मनोरंजन एवं आनन्द ही नहीं है, बल्कि मुख्य उद्देश्य एक प्रकार की व्यायाम करके तन, मन, आत्मा को स्वस्थ एवं प्रसन्न रखना है।
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