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rashtra bhasha ki samiksha in hindi
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राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।
हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिन्दी हृदय की भाषा है।
हिंदुस्तान के लिए देवनागरी लिपि का ही व्यवहार होना चाहिए, रोमन लिपि का व्यवहार यहां हो ही नहीं सकता।
हिन्दी भाषा के लिए मेरा प्रेम सब हिन्दी प्रेमी जानते हैं।
हिन्दी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।
अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिए ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता-समझता है। और हिन्दी इस दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ है।
राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।
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