Hindi, asked by manjumishra9258, 1 year ago

Anuched on sachamitr

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Answered by Maximus
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सच्चे मित्र के बारे में तुलसीदास जी ने कहा है -

जो न मित्र हौंहाहिं दुखारी, तिन्हहिं बिलोकत पातक भारी। निज दुःख गिरिसम रज करि जाना, मित्रक दुःख रज मेरु समाना। 

सच्चा मित्र वही है जो मित्र दुःख में काम आता आता है। वह मित्र के बहुत छोटे से छोटे कष्ट को भी मेरु पर्वत के सामान भारी मान कार उसकी सहायता करता है। मित्र सुख-दुःख का साथी है। वह केवल दुःख में ही नहीं सुख में भी खुशियां बांटता है। मित्र के होने से हमारे सुख के क्षण उल्लास से भर जाते हैं। कोई भी ख़ुशी, पार्टी मित्रों के शामिल हुए बिना नहीं जमती। सच्चा मित्र हमारे लिए प्रेरणा देने वाला ,सहायक और मार्गदर्शक बनकर हमें जीवन की सही राह की ओर ले जाने वाला होता है। निराशा के क्षणों में सच्चा मित्र हमारी हिम्मत बढ़ाने वाला होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तब वह हमारी हिम्मत बढ़ाता है। जब हम शिथिल होते हैं तब वह प्रेरणा देता है। जब हम विचलित होते हैं तब वह हमारा मार्गदर्शन करता है। सच्चा मित्र हमारे लिए शक्तिवर्धक औषधि का  है जब हम शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करते हैं। सच्चा मित्र हमें पथभ्रष्ट होने से बचाता है और सत्मार्ग की ओर ले जाता है। सचमुच सच्ची मित्रता एक वरदान है जो हर किसी को नहीं मिलती। 
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