Hindi, asked by Maruf4897, 1 year ago

Anuched on shiksha nagari kota

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Answered by AbsorbingMan
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एक जमाने में राजस्थान का उद्योग नगर कहलाने वाला कोटा सिर्फ  भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अब ‘‘कोचिंग सिटी कोटा’’ के नाम से पहचाना जाता है. उलटी दिशा यानी दक्षिण से उत्तर में बहने वाली चंबल यहां की लाइफ लाइन है. कोटा देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां  पानी, परमाणु गैस और कोयला आधारित बिजली उत्पादन केंद्र है.

कोटा स्टोन और चंबल के पानी की तासीर के चलते चटपटी कचौडिय़ों के लिए प्रसिद्ध कोटा में बीते दो दशक के दौरान छाए कोचिंग कारोबार ने रियल एस्टेट कारोबार में भी उछाल ला दिया. अकेले कोटा में 10,000 से ज्यादा हॉस्टल हैं, जितने राज्य के किसी दूसरे शहर में नहीं हैं. शहरों में मल्टीस्टोरी इमारतों की भी बाढ़-सी आ गई है, जहां 20 से 90 लाख रु. की रेंज के फ्लैट्स उपलब्ध हैं. कोटा कला संस्कृति, वास्तु, पुरातत्व, लेखन और साहित्य सभी में अग्रणी है. कोटा, दिल्ली, मुंबई रेल मार्ग का प्रमुख स्टेशन है, जिसकी वजह से यह देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरों के संपर्क में है.  

कोटा में तकरीबन सवा लाख कोचिंग छात्र बाहर से आकर रहते हैं. इनमें से 50,000 से ज्यादा अकेले एलन इस्टीट्यूट के हैं. यहां 300 से ज्यादा छात्र कश्मीर से हैं. कोचिंग के कारोबार से छोटे तबके से लेकर मध्यवर्गीय मकान मालिकों, मेस संचालकों सहित बिल्डर्स जैसे बड़े तबके तक सभी ने लाभ कमाया है. नतीजतन पूरे कोटा शहर में विकास हुआ है. हालांकि कोई सुनियोजित ढांचा न होने की बात भी सामने आती रहती है. सर्वाधिक छात्र घनत्व वाले राजीव नगर क्षेत्र में सीवरेज की माकूल व्यवस्था का अभाव है. कोटा में औद्योगिक विकास के लिए रीको के पास जमीन नहीं है.

कोटा के विकास और संपूर्णता में सबसे बड़ी बाधा है वायु सेवाओं का अभाव. एरोड्रोम होने के बावजूद कोटा में वायु सेवा का अभाव हर एक को खलता है.  कोटा में औद्योगिक विकास के अपार मौके मौजूद हैं. वहीं पुरातत्व और पर्यटन क्षेत्र में भी विकास की असीमित संभावनाएं हैं. कोचिंग कारोबार को भी पर्यटन से लिंक किया जा सकता है. कोटा में उद्योगों के माध्यम से युवाओं की तरक्की की कोशिशें भी जारी हैं.

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