anuched on van rahenge hum rahenge in hindi in 75 words
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जितने अधिक वन होंगे पर्यावरण उतना ही अधिक सुरक्षित होगा। पर्यावरण की सुरक्षा में जंगलों के महत्व को स्वीकार करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर इस साल की थीम है फारेस्ट-नेचर एट युअर सर्विस यानी ‘जंगल-प्रकृति आपकी सेवा में। इस थीम के पीछे वनों की उपयोगिता और उनके संरक्षण का भाव है। वनों के बगैर आज मानव समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। वन संसाधनों और इनके संरक्षण के मामले में भारत धनी है। हालांकि यह भी सत्य है कि पिछले कुछ दशकों के दौरान अनियंत्रित औद्योगिक विकास के कारण वनों को काफी क्षति पहुंची है लेकिन इधर हाल के वषरे में जागरूकता बढ़ी है और वनों की कीमत पर विकास की परंपरा थमी है। वैसे भी हमारे देश के कई सूबों में वनों और वन्य जीवों कासंरक्षण लोगों के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दा भी है। देश में विकास गतिविधियों में इजाफे के बावजूद वन बढ़े हैं। इसलिए भारत के कदमों को वैश्विक स्तर पर भी मान्यता मिल रही है। इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने विश्व पर्यावरण दिवस की थीम के क्रियान्वयन की मेजबानी भारत को सौंपी है।
Explanation:
मानव-जीवन का एक-एक पल वनों का ऋणी है। जन्म से लेकर मृत्यु तक वे हमारी सहायता करते हैं, रक्षा करते हैं। जन्म के समय यदि पालना-हिंडोला लकड़ी का होता है तो मृत्यु के समय शरीर को ढोनेवाला विमान भी लकड़ी का होता है।वृक्षों की लकड़ी जलावन से लेकर फैक्ट्रियों में विभिन्न रूपों में काम आती है। वनों से वर्षा का जल खेती योग्य भूमि में पड़कर हमारे पेट भरने को अनाज उपजाता है। हमारी-रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की ये तीनों मूलभूत आवश्यकताएँ वन ही पूरी करते हैं। मनुष्य यदि जीवित है तो वनों की कृपा पर।वन हमें दैनिक जीवन में प्रयोग में आनेवाली अनेकानेक वस्तुएँ उपलब्ध कराते हैं। रबड़, गोंद, फल-फूल, कागज, पत्ते, छाल आदि सब इन्हीं से प्राप्त होते हैं। वन प्राकृतिक सम्पदा के भण्डार हैं। वनों का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है – वातावरण को शुद्ध रखना, वर्षा लाना तथा बाढ़ रोकना।
वैज्ञानिक परीक्षण बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में मौसमी अनियमितता आने का कारण केवल वनों का अन्धाधुन्ध काटा जाना ही है। देश में आज 23% भू-भाग पर वन हैं, जबकि 33% भू-भाग पर वनों की आवश्यकता है। सूखा और अकाल का कारण भी वनों की कटाई ही हैl जीवन में स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों के बढ़ते जाने से आज फिर मानव को वृक्षों के होने का महत्त्व समझ में आया है। राज्य में एक विशेष तिथि पर पौधे को रोपना ‘वन महोत्सव’ के आयोजन का मुख्य अंग है। आज यह एक अभियान का रूप ले चुका है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर सरकार की ओर से वृक्षारोपण का कार्य सम्पन्न कराया जाता है । स्कूल, कॉलेजों, आवासीय कालोनियों आदि में भी इस ओर बड़ा ध्यान दिया जा रहा है। हर्ष का हुए विषय है कि लोग आज इसका महत्त्व समझने लगे हैं।