anuched on Vigyapan and vastavik Jeevan
Answers
विज्ञापनों का हमारे जीवन पर बहुत असर होता है। विज्ञापन हम ना केवल टेलीविज़न बल्कि अखबारों, पत्रिकाओं और बैनरों और होरड़ींग के ज़रिए रोड़ पर भी देखते हैं। परंतु यह विज्ञापन वास्तविकता से कितना अलग होते हैं यह फर्क केवल गिने चुने लोग ही समझ पाते हैं।
असल में जो चीज़ें या जो भी बातें हम विज्ञापनों में देखते तथा सुनते हैं वह बनायी ही इस मक्सद से जाती हैं की ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। इन विज्ञापनों को बनाने के समय यह नहीं देखा जाता की क्या सही है और क्या गलत। कुछ विज्ञापन तो वास्तविकता के आस पास भी नहीं भटकते जैसे की कोई चॉकलेट खा कर इतना खो जाता है की उसे कुच्छ होश ही नहीं रहता की वह क्या कर रहा है या फिर केवल एक छोटे से खिलोने से बच्चे चोर को अपने घर से डरा कर भगा देते हैं। असल में ऐसा होना नामुमकिन है और यह दिखाकर ग्राहकों को गुमराह किया जाता है।