anuched
परिवार में नारी की स्थिति
र्मा और पत्नी के रूप में
समाज के प्रति
अपने प्रति
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स्वामी विवेकानन्द ने नारी चेतना के संदर्भ में भारतीय स्त्राी को आदर्श बताते हुए कहा-फ्भारत। तुम मत भूलना कि तुम्हारी स्त्रिायों का आदर्श सीता, सावित्राी, दमयंती है। मत भूलना कि तुम्हारा विवाह, तुम्हारा धन और तुम्हारा जीवन इन्द्रिय सुख के लिए हैं, अपने व्यक्तित्व सुख के लिये नहीं है। मत भूलना की तुम जन्म से ही माता के लिये बाती स्वरूप रखे गए हो, मत भूलना कि तुम्हारा समाज उस विराट महामाया की छत्राछाया है। फ्वाक्य अधूरा ही रहता, जब तक क्रिया नहीं होती पुरूप ‘परष’ ही रहता है, जब तक प्रिया नहीं होती।य् आदिकाल में बुद्धि के विकास के साथ ही उसने अपने कार्यक्षेत्रा को बढ़ाया साथ ही सम्पति का संग्रहण भी आरम्भ कर दिया।
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